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भारत मे भगवान शिव के कई मंदिर मौजूद है.जिनकी अपनी-अपनी धार्मिक
मान्यता और रीति-रिवाज है…उनमे से ही एक और बहुत चर्चित भगवान शिव का
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर.(mahakaleshwar jyotirling mandir) जो अपनी
अपार शक्तियों और रहस्यमयी घटनाओ के कारण हर वक्त सुर्खियों से गिरा रहता है.
मध्य प्रदेश के मालवा में क्षुपरा नदी के तट पर बसी है भारत की सबसे
प्राचीन,धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी उज्जैन… उज्जैन जो अलग अलग सदी
में अलग अलग नामो से जानी जाती रही है…जैसेकि उज्जैनी, अमरावती,अवन्तिका और
कनकश्रृंगा. ओर इसी नगरी के रुद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है काल के
भी काल महाकाल का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर.(mahakaleshwar jyotirling
mandir.)
प्राचीन,धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी उज्जैन… उज्जैन जो अलग अलग सदी
में अलग अलग नामो से जानी जाती रही है…जैसेकि उज्जैनी, अमरावती,अवन्तिका और
कनकश्रृंगा. ओर इसी नगरी के रुद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है काल के
भी काल महाकाल का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर.(mahakaleshwar jyotirling
mandir.)
● अवन्तिका नगरी जो भय को दूर करने वाली नगरी है.
● अवन्तिका नगरी जो अकाल मृत्यु के योग को दूर करने वाली नगरी है.
पुराणों में सप्तपुरी नगरी यानी सात मुखी नगरी का वर्णन मिलता है…उसमे
उज्जैन नगरी भी शामिल है. प्राचीन काल से ही उज्जैनी ज्ञान के जिज्ञासु और
भक्तो की नगरी रही है…और उज्जैन में कई मंदिरों की स्थापना की गयी
थी…इसीलिए उज्जैन को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है.उज्जैन में
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा 84 लिंगो में महादेव अलग अलग रूपो में
मौजूद है.
उज्जैन नगरी भी शामिल है. प्राचीन काल से ही उज्जैनी ज्ञान के जिज्ञासु और
भक्तो की नगरी रही है…और उज्जैन में कई मंदिरों की स्थापना की गयी
थी…इसीलिए उज्जैन को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है.उज्जैन में
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा 84 लिंगो में महादेव अलग अलग रूपो में
मौजूद है.
महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास – History of mahakaleshwar temple.
महाकालेश्वर मंदिर के निर्माण का वर्णन शिवपुराण में
कोटिरुद्रसंहिता के 16वें अध्याय में महाराज सुतजी द्वारा किया गया
है. शिवपुराण के अनुसार अवन्तिका नगरी में वेदप्रिय नाम के ब्राह्मण
रहा करते थे.वह हररोज भगवान महाकाल का स्मरण करते थे.उनके चार पुत्र
थे…उनके नाम क्रमशः देवप्रिय, प्रियमेगा, सुंस्कृत और सुवृत था.वह
चारो माता पिता के प्रिय पुत्र और आज्ञाकारी थे.
उन्ही दिनों में रत्नमाला पर्वत पर दूषण नाम के असुर ने ब्रह्मा से
अजेयता का वरदान प्राप्त कर लिया. अजेयता के अहंकार में चूर होकर वह
सब ब्राह्मण को परेशान करता हुआ अवन्तिका नगरी पहुचा. वहां पर भी
दूषण ने सभी ब्राह्मण को परेशान किया. तब दूषण की नजर वेदप्रिय के
चार पुत्र पर पड़ी. तब वह चारो भगवान शिव की पूजा अर्चना कर रहे थे.
दूषण ने अपनी सेना को उन चारों का वध करने का आदेश दिया. जेसे ही
दूषण की सेना वध करने के लिए आगे बढ़ी उसी समय भगवान शिव स्वयं प्रगट
हुए…महादेव ने दूषण और उसकी सेना का वध किया.महादेव वेदप्रिय के चारो पुत्र से प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान
मांगने को कहा…तब वेदप्रिय के चारो पुत्र ने भगवान शिव को हमेशा
अपने साथ रहने का आग्रह किया.
उन चार ब्राह्मण पुत्र के आग्रह से शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थित हो
गए…तब से महाकाल स्वंभू स्वरूप में बिराजमान है.भगवान शिव के देश मे 12
ज्योतिर्लिंग आज भी मौजूद है. महाकालेश्वर मंदिर(mahakaleshwar mandir) को भी
ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है.
गए…तब से महाकाल स्वंभू स्वरूप में बिराजमान है.भगवान शिव के देश मे 12
ज्योतिर्लिंग आज भी मौजूद है. महाकालेश्वर मंदिर(mahakaleshwar mandir) को भी
ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है.
12 ज्योतिर्लिंग सुुुचीपत्र-12 jyotirling list
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-somnath jyotirling mandir | गुजरात-gujarat |
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर-mallikarjun jyotirling mandir | आंध्र प्रदेश-andhra pradesh |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-mahakaleshwar jyotirling mandir | मध्य प्रदेश-madhay pradesh |
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – omkareshvar jyotirling mandir | मध्य प्रदेश-madhay pradesh |
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-kedarnath jyotirling mandir | उत्तराखंड-uttarakhand |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर-bhimashankar jyotirling mandir | महाराष्ट्र-maharashtra |
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-vishvanath jyotirling mandir | उत्तर प्रदेश-uttar pradesh |
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-trimbkeshwar jyotirling mandir | महाराष्ट्र-maharashtra |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-nageshwar jyotirling mandir | गुजरात-gujarat. |
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर – vaidhyanath jyotirling mandir |
जारखंड – jharkhand |
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-rameshwar jyotirling mandir | तमिलनाडु-tamilanadu |
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – ghrishneshwar jyotirling mandir | महाराष्ट्र – maharastra |
महाकाल के बारे में ये भी कहा जाता है कि
अकाल मृत्यु वो मरेजो कर्म करे चांडाल काकाल भी उसका क्या करेजो भक्त हो महाकाल का
वर्तमान महाकालेश्वर मंदिर (mahakaleshwar mandir) को छत्रपति शाहू महाराज और
श्रीमंत पेशवा बाजीराव के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में
बनवाया था. इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज ने और महारानी श्रीमती
जायजाबाई राजे शिंदे ने बाबा महाकाल के मंदिर (baba mahakal ka mandir) का
सौन्दरीकरण करवाया…और मंदिर में कई बदलाव भी करवाये.
श्रीमंत पेशवा बाजीराव के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में
बनवाया था. इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज ने और महारानी श्रीमती
जायजाबाई राजे शिंदे ने बाबा महाकाल के मंदिर (baba mahakal ka mandir) का
सौन्दरीकरण करवाया…और मंदिर में कई बदलाव भी करवाये.
महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में महाकाल के ऊपर सिद्धयंत्र स्थापित किया गया
है. बाबा महाकाल के दाई तरफ गणेशजी महाराज और बाई तरफ भाई कार्तिकेय बिराजमान
है…उनके बीच मे माता पार्वती बिराजमान है.बाबा महाकाल के दक्षिण में भगवान
शिव के परम भक्त नंदी बिराजमान है.
है. बाबा महाकाल के दाई तरफ गणेशजी महाराज और बाई तरफ भाई कार्तिकेय बिराजमान
है…उनके बीच मे माता पार्वती बिराजमान है.बाबा महाकाल के दक्षिण में भगवान
शिव के परम भक्त नंदी बिराजमान है.
दिन के दौरान बाबा महाकाल की अलग – अलग आरती की जाती है.
आरती | समय |
भस्म आरती | प्रातःकाल 4:00 बजे |
दगयोधय आरती | सुबह 7:00 बजे |
भोग आरती | दोपहर 10:00 बजे |
पूजन श्रृंगार | शाम 5:00 बजे |
संध्या भोग आरती | रात्रि 7:00 बजे |
भगवान महाकाल की मुख्यपूजा भस्म आरती को ही माना जाता है.पूजा, अर्चना, आरती और
भक्ति के बीच कई सदियों से बिराजमान है बाबा महाकाल.
भक्ति के बीच कई सदियों से बिराजमान है बाबा महाकाल.
महाराजा श्रीमंत जयाजीराव साहेब शिंदे के समय से ईस 1886 तक, ग्वालियर
रियासत के बहुत सारे कार्यक्रमो को इसी मंदिर में ही आयोजित किया जाता था.
रियासत के बहुत सारे कार्यक्रमो को इसी मंदिर में ही आयोजित किया जाता था.
● जो समय के भी स्वामी है वो महाकाल.
● जो समय का भी नियंत्रण करे वो महाकाल.
● जो समय का भरण पोषण करने में सक्षम है वो महाकाल.
प्राचीन काल मे उज्जैन राजा विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी हुआ करती थी.
कृष्ण की कुलदेवी और राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी हरसिद्धि माता भी
उज्जैन में मौजूद है. महाकाली यह पर हरसिध्दि के रूप में मौजूद है.यहां पर
माता सती की कोहनी गिरी थी इसी लिए यह शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. आज
भी हर शाम आरती के समय मंदिर के प्रांगण को दीपो से सजाया जाता है.यह दृश्य
भी देखने लायक होता है.महाकवि कालिदास(mahakavi kalidas) ने संध्याआरती का
वर्णन अपने ग्रंथ मेघदूत में कुछ इस तरह से किया है.
कृष्ण की कुलदेवी और राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी हरसिद्धि माता भी
उज्जैन में मौजूद है. महाकाली यह पर हरसिध्दि के रूप में मौजूद है.यहां पर
माता सती की कोहनी गिरी थी इसी लिए यह शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. आज
भी हर शाम आरती के समय मंदिर के प्रांगण को दीपो से सजाया जाता है.यह दृश्य
भी देखने लायक होता है.महाकवि कालिदास(mahakavi kalidas) ने संध्याआरती का
वर्णन अपने ग्रंथ मेघदूत में कुछ इस तरह से किया है.
“है मेघ जब तुम उज्जैनी जाना महाकाल के दर्शन अवश्य करना,वहा की
संध्याआरती को अवश्य देखना.”
कापालिक मठो और अघोर मठो का केंद्र है उज्जैन. अवंतिका में हरसिध्दि माता,
महाकाली माता और काल भैरव बिराजमान है. काल भैरव जो समय का भरण पोषण करने में
सक्षम है. महाकाली माता जो गढ़कालिका के नाम से जानी जाती है. महाकाली माता जो
महा कवि कालिदास (mahakavi kalidas) के आराध्य देवी है…और इसी मंदिर में
कालिदास को ज्ञान प्राप्त हुआ था.
महाकाली माता और काल भैरव बिराजमान है. काल भैरव जो समय का भरण पोषण करने में
सक्षम है. महाकाली माता जो गढ़कालिका के नाम से जानी जाती है. महाकाली माता जो
महा कवि कालिदास (mahakavi kalidas) के आराध्य देवी है…और इसी मंदिर में
कालिदास को ज्ञान प्राप्त हुआ था.
●पूरे ब्रह्मांड में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (mahakaleswar jyotirling) ही
एक मात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है.
एक मात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिण मुखी है.
● दक्षिण दिशा काल की और काल को भी जिसने भस्म किया और अपना श्रृंगार किया है
वह महाकाल है.
वह महाकाल है.
कुंभ मेले का उज्जैन के साथ संबंध – kumbh mela’s relation with
ujjain
कुंभ यानी कलश. एक कथा के अनुसार प्राचीन समय ने समुद्र मंथन के बाद
अमृत की चार बूंदे कलश में से पृथ्वी पर गिरी…उसके बाद उन चारों
स्थान हरिद्वार, नासिक, प्रयाग, और उज्जैन में कुम्भ मेले की प्रथा का
जन्म हुआ. चैत्र मास की पूर्णिमा से वैशाख मास की पूर्णिमा को सिंधष्ठ
कुम्भ कहते है. इस समय मे नदी में स्नान करने का बड़ा महत्व होता है.
वर्तमान में महाकालेश्वर मंदिर (mahakaleshwar mandir) में कुल पांच
मंजिल है.
तीसरी मंजिल पर मौजूद है नागचंद्रेश्वर. जिनके दर्शन मात्र नाग पंचमी के दिन
ही होते है…और उनके नीचे मंदिर के पहली मंजिल पर ओम्कारेश्वर के रूप में
शिव निवास करते है.
ही होते है…और उनके नीचे मंदिर के पहली मंजिल पर ओम्कारेश्वर के रूप में
शिव निवास करते है.
सदियो से लोगो के स्वागत के लिए हाथ जोड़े खड़ी है मंदिरो की नगरी उज्जैन…और
सदियो से भक्तों को अपनी कृपा के आगोस में भरकर उनकी मुक्ति का मार्ग दे रहे
है कालो के काल महाकाल.
सदियो से भक्तों को अपनी कृपा के आगोस में भरकर उनकी मुक्ति का मार्ग दे रहे
है कालो के काल महाकाल.
महाकाल मंदिर और उज्जैन के बारे में कुछ रोचक तथ्य – some intresting
facts about mahakaleshwar temple and ujjain
● भगवान विश्णु के सभी अवतार जैसेकि राम, कृष्ण, वराह और नरसिंह अवतार अपने
समय मे उज्जैन आये है.
समय मे उज्जैन आये है.
● उज्जैन में रात को कोई राजा या राजपरिवार के जुड़ा कोई भी आदमी नही रह सकता.
– एक म्यान में दो तलवारे नही रह सकती उसी तरह एक राज्य में दो राजा नही रह
सकते…और पूरी दुनिया जानती है कि उज्जैन ही नही महाकाल तो पूरे ब्रह्मांड
के राजा है.
– एक म्यान में दो तलवारे नही रह सकती उसी तरह एक राज्य में दो राजा नही रह
सकते…और पूरी दुनिया जानती है कि उज्जैन ही नही महाकाल तो पूरे ब्रह्मांड
के राजा है.
● महाकाल मंदिर(mahakal mandir) के सामने से कोई बारात या कोई घोडे पर बैठकर
नही जा सकता.
नही जा सकता.
● महाकाल को हररोह ताज मुर्दे की भस्म चढ़ाई जाती है – आपने कई मंदिरों में
भस्म देखी होगी पर महाकाल मंदिर में ताजा मुर्दे की भस्म चढ़ाई जाती है भगवान
महाकाल को.
भस्म देखी होगी पर महाकाल मंदिर में ताजा मुर्दे की भस्म चढ़ाई जाती है भगवान
महाकाल को.
● तीन खंडो में है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (mahakaleshwar jyotirling) –
वर्तमान समय मे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के तीन खंड मौजूद है. गर्भगृह में
स्वयं महाकाल, उनके ऊपरी मंजिल पर ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग(omkareshvar
jyotirling) और तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर जी (nagchandreswar ji) बिराज
ते है. नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही खुलता है.
वर्तमान समय मे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के तीन खंड मौजूद है. गर्भगृह में
स्वयं महाकाल, उनके ऊपरी मंजिल पर ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग(omkareshvar
jyotirling) और तीसरी मंजिल पर नागचंद्रेश्वर जी (nagchandreswar ji) बिराज
ते है. नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही खुलता है.
● नंदी दीप भी है आकर्षण का केंद्र – महाकाल के गृर्भगृह में दक्षिणमुखी
शिवलिंग है जो माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय के साथ मौजूद है यहां
पर नंदी दीप भी स्थापित है जो हमेशा ही जलाता रहता है.
शिवलिंग है जो माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय के साथ मौजूद है यहां
पर नंदी दीप भी स्थापित है जो हमेशा ही जलाता रहता है.
Note
दोस्तों अगर आपको हमारा ये BOLG पसंद आया हो…और इसमें आपको कोई भूल या
कमी नजर आयी हो तो हमे COMMENT के माध्यम से सूचित करें.
कमी नजर आयी हो तो हमे COMMENT के माध्यम से सूचित करें.
■ आपकी बताई गई सूचना को हम 48 घंटे में सही करने की कोशिस करेगे…ओर आपके
एक सुजाव से किसीके पास भी गलत information नही पहोच पायेगी.
एक सुजाव से किसीके पास भी गलत information नही पहोच पायेगी.