Hurry Up!
जब तुम शहिद हुए थे,
तो न जाने कैसे तुम्हारी माँ सोई होगी…
एक बात तो तय है,तुम्हें लगने वाली गोली भी सौ बार रोइ होगी.
यह कहानी है उस वीर की, जब कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा धमकी
मिली थी कि, तुम्हारी लाशे उठाने वाला भी कोई नही होगा. तब उन्होंने जवाब दिया था
कि, ‘तुम दुआ करो अपने खुदा से अपनी हिफाज़त के लिए.’
मिली थी कि, तुम्हारी लाशे उठाने वाला भी कोई नही होगा. तब उन्होंने जवाब दिया था
कि, ‘तुम दुआ करो अपने खुदा से अपनी हिफाज़त के लिए.’
जिनकी जुबान से ऐसे अंगारे जलकते हो, उनके वीरता की हद को सोचना भी असंभव है. यह
कहानी है, कारगिल के हीरो और शेरशाह कहे जाने वाले अमर शहिद कैप्टन विक्रम
बत्रा captain vikram batra की.
कहानी है, कारगिल के हीरो और शेरशाह कहे जाने वाले अमर शहिद कैप्टन विक्रम
बत्रा captain vikram batra की.
तो आइए जानते है, कारगिल के शेरशाह अमर शहिद कैप्टन विक्रम बत्रा की जीवनी
captain vikram batra Biography बारे में…
captain vikram batra Biography बारे में…
कैप्टन विक्रम बत्रा का प्रारंभिक जीवन life of Captain Vikram Batra
कैप्टन विक्रम बत्रा captain vikram batra का जन्म 9 सितंबर 1974 में हिमाचल
प्रदेश के पालमपुर में हुआ था. उनके पिता का नाम जी.एल. बत्रा और माता का नाम
कमलकांता बत्रा है. देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह रखने वाले विक्रम बत्रा
vikram batra बचपन से ही निडर और साहसी थे.
प्रदेश के पालमपुर में हुआ था. उनके पिता का नाम जी.एल. बत्रा और माता का नाम
कमलकांता बत्रा है. देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाह रखने वाले विक्रम बत्रा
vikram batra बचपन से ही निडर और साहसी थे.
विक्रम बत्रा vikram batra के बचपन मे उन्हें लव के नाम से बुलाया जाता था.
उन्होंने अपनी प्रथमिक शिक्षा डीएवी स्कूल और सेंट्रल स्कूल ऑफ पालमपुर से की थी.
यह स्कूल सेना केम्प में होने की वजह से विक्रम बत्रा को स्कूल के समय से ही
भारतीय सेना में भर्ती होने की चाह थी.
उन्होंने अपनी प्रथमिक शिक्षा डीएवी स्कूल और सेंट्रल स्कूल ऑफ पालमपुर से की थी.
यह स्कूल सेना केम्प में होने की वजह से विक्रम बत्रा को स्कूल के समय से ही
भारतीय सेना में भर्ती होने की चाह थी.
विक्रम बत्रा vikram batra अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करके चंडीगढ़ चले गए और
डीएवी कॉलेज ऑफ चंडीगढ़ से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
डीएवी कॉलेज ऑफ चंडीगढ़ से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
कैप्टन विक्रम बत्रा का मिलेट्री करियर Military career of Captain Vikram Batra
डीएवी कॉलेज ऑफ चंडीगढ़ से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद विक्रम बत्रा
सीडीएस के जरिये भारतीय सेना में शामिल हो गए. साल 1996 में विक्रम बत्रा ने
भारतीय सैन्य अकादमी में दाखिला लिया.
सीडीएस के जरिये भारतीय सेना में शामिल हो गए. साल 1996 में विक्रम बत्रा ने
भारतीय सैन्य अकादमी में दाखिला लिया.
वहां से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद विक्रम बत्रा को 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में
लेफ्टिनेंट की उपाधि मिली. उसके बाद विक्रम बत्रा को 1 जून 1999 में कारगिल में
अपना अदम्य साहस दिखाने के बदल सेना से उन्हें कैप्टन की उपाधि मिली.
लेफ्टिनेंट की उपाधि मिली. उसके बाद विक्रम बत्रा को 1 जून 1999 में कारगिल में
अपना अदम्य साहस दिखाने के बदल सेना से उन्हें कैप्टन की उपाधि मिली.
साल 1999 में पाकिस्तान ने ईस्ट पाकिस्तान की आजादी को लेकर भारत के साथ युद्ध
छेद दिया. जब पाकिस्तान की और से युद्ध की पहल हुई तो भारत ने भी पीछेहट नही की
और दुगनी ताकत के साथ पाकिस्तान पर उल्टा वार किया.
छेद दिया. जब पाकिस्तान की और से युद्ध की पहल हुई तो भारत ने भी पीछेहट नही की
और दुगनी ताकत के साथ पाकिस्तान पर उल्टा वार किया.
पाकिस्तान ने धोखे से श्रीनगर-लेह मार्ग के ऊपर स्थित पॉइन्ट 5140 पर कब्जा कर
लिया था. जो भारतीय सेना के लिए महत्व का था. पॉइन्ट 5140 पर वापिस भारत का
कब्जा करने का काम दिया गया लेफ्टिनेंट मेजर विक्रम बत्रा को.
लिया था. जो भारतीय सेना के लिए महत्व का था. पॉइन्ट 5140 पर वापिस भारत का
कब्जा करने का काम दिया गया लेफ्टिनेंट मेजर विक्रम बत्रा को.
उन्होंने माँ काली के जयघोष के साथ बड़ी निडरता से शत्रुओं पर धावा बोल दिया.
विक्रम बत्रा ने जल्द ही पॉइन्ट 5140 पर भारत का कब्जा कर दिया. उन्होंने ने 20
जून 1999 को सुबह 3:30 मिनिट पर “भारतमाता की जयकार” के साथ पॉइन्ट 5140 पर
तिरंगा लहराया.
विक्रम बत्रा ने जल्द ही पॉइन्ट 5140 पर भारत का कब्जा कर दिया. उन्होंने ने 20
जून 1999 को सुबह 3:30 मिनिट पर “भारतमाता की जयकार” के साथ पॉइन्ट 5140 पर
तिरंगा लहराया.
पॉइन्ट 5140 से ही कैप्टन विक्रम बत्रा ने सेटेलाइट फोन के जरिये अपनव उच्च
अधिकारी के साथ बात की. जब उनके उच्च अधिकारी ने कैप्टन विक्रम बत्रा को पूछा
कि ‘ विक्रम तुम कैसे महसूस कर रहे हो.’ तब कैप्टन विक्रम बत्रा का जवाब था “ये
दिल मांगे मोर”
अधिकारी के साथ बात की. जब उनके उच्च अधिकारी ने कैप्टन विक्रम बत्रा को पूछा
कि ‘ विक्रम तुम कैसे महसूस कर रहे हो.’ तब कैप्टन विक्रम बत्रा का जवाब था “ये
दिल मांगे मोर”
“ये दिल मांगे मोर” उस समय पेप्सी का स्लोगन था. परंतु कैप्टन विक्रम बत्रा ने
यह स्लोगन का अर्थ ही बदल दिया. कारगिल युद्ध मे कैप्टन विक्रम बत्रा को शेरशाह
के नाम से बोलाया जाता था और यही उनका कोडनेम भी था.
यह स्लोगन का अर्थ ही बदल दिया. कारगिल युद्ध मे कैप्टन विक्रम बत्रा को शेरशाह
के नाम से बोलाया जाता था और यही उनका कोडनेम भी था.
जल्द ही कैप्टन विक्रम बत्रा ने पॉइन्ट 4875 चोटी को पाकिस्तान से छुड़ाने के
काम आगे बढ़कर लिया. कैप्टन विक्रम बत्रा के असाधारण नेतृत्व में भारतीय टुकड़ी
ने जल्द ही पॉइन्ट 4875 चोटी पर तिरंगा लहरा दिया.
काम आगे बढ़कर लिया. कैप्टन विक्रम बत्रा के असाधारण नेतृत्व में भारतीय टुकड़ी
ने जल्द ही पॉइन्ट 4875 चोटी पर तिरंगा लहरा दिया.
कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी का अंदाजा आप इसीबात से लगा सकते है कि, आगे
मौत थी फिर भी कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपने सिपाही को आगे ना भेजकर खुद आगे चले
गए. क्योकि, उस सिपाही के शादी हो चुकी थी और उनके बच्चे थे.
मौत थी फिर भी कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपने सिपाही को आगे ना भेजकर खुद आगे चले
गए. क्योकि, उस सिपाही के शादी हो चुकी थी और उनके बच्चे थे.
ये वीर किस मिट्टी के बने होते है,इन्हें किसी से डर ही नही लगता…
जान किसी और कि खतरे में होती है,सीना ये अपना आगे कर देते है…
गजब के दीवाने होते है ये लोग,आंच माटी पर आती है, सींच देते है अपने लहू से ये लोग…
पॉइन्ट 4875 चोटी पर ही कैप्टन विक्रम बत्रा captain vikram batra को एक गोली
लगी थी. जो सीधी उनकी छाती में जा लगी थी. जिसकी वजह से कैप्टन विक्रम बत्रा ने
अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था.
लगी थी. जो सीधी उनकी छाती में जा लगी थी. जिसकी वजह से कैप्टन विक्रम बत्रा ने
अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था.
मरणोपरांत कैप्टन विक्रम बत्रा को 15 ऑगस्ट 1999 को भारत के सर्वोच्च सम्मानित
मैडल “परमवीर चक्र param vir chakra ” से सन्मानित किया गया. भले ही आज कैप्टन विक्रम बत्रा हमारे
बीच नही है. परंतु उनकी शौर्यगाथा आज भी हमारे लहू में आग लग बगार देती
है.
मैडल “परमवीर चक्र param vir chakra ” से सन्मानित किया गया. भले ही आज कैप्टन विक्रम बत्रा हमारे
बीच नही है. परंतु उनकी शौर्यगाथा आज भी हमारे लहू में आग लग बगार देती
है.
भारत माता के इस सपूत को भारतवर्ष ज्ञान की पूरी टीम शत-शत नमन करती
है.