भारतीय पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने लोककल्याण एवं प्रकृतिकल्याण हेतु भारत
मे कई जगहों पर स्वयंभू प्रगट हुए और लिंग रूप में बिराजमान रहे…और उन जगहों
को ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के रूप में पूजा जाने लगा. भारत मे 12
ज्योतिर्लिंग (12 jyotirlinga) आज भी मौजूद है. जिनका अपना धार्मिक महत्व है.
मे कई जगहों पर स्वयंभू प्रगट हुए और लिंग रूप में बिराजमान रहे…और उन जगहों
को ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के रूप में पूजा जाने लगा. भारत मे 12
ज्योतिर्लिंग (12 jyotirlinga) आज भी मौजूद है. जिनका अपना धार्मिक महत्व है.
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भारत मे कुल 64 ज्योतिर्लिंग(64 jyotirlinga) आज भी मौजूद है. इन
ज्योतिर्लिंगों में से 12 ज्योतिर्लिंगों (12 jyotirlinga) को ही मुख्य
ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है. जो भारत मे अलग – अलग स्थानों में
स्थपित है. भारत में इन ज्योतिर्लिंगों (jyotirlinga) को काफी पवित्र माना जाता
है.
ज्योतिर्लिंगों में से 12 ज्योतिर्लिंगों (12 jyotirlinga) को ही मुख्य
ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है. जो भारत मे अलग – अलग स्थानों में
स्थपित है. भारत में इन ज्योतिर्लिंगों (jyotirlinga) को काफी पवित्र माना जाता
है.
भारत मे जहाँ जहाँ ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) है…उन जगहों को देवताओ के नाम
से जाना जाता है. ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) एक प्रकार से भगवान शिव का मंदिर
ही है…जहाँ ज्योतिर्लिंग(jyotirlinga) के रूप में उनकी पूजा की जाती है. यहां
नीचे द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत (dwadash jyotirlinga stotram) दिया गया है.
जिनके नित्य पाठ से सभी ज्योतिर्लिंग के दर्शन का फल प्राप्त होता है.
से जाना जाता है. ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) एक प्रकार से भगवान शिव का मंदिर
ही है…जहाँ ज्योतिर्लिंग(jyotirlinga) के रूप में उनकी पूजा की जाती है. यहां
नीचे द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत (dwadash jyotirlinga stotram) दिया गया है.
जिनके नित्य पाठ से सभी ज्योतिर्लिंग के दर्शन का फल प्राप्त होता है.
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम
(dwadash jyotirlinga stotram in sanskrit)
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥१॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥२॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥३॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥४॥
एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति।कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वरा॥५॥
● ऊपर दिए गए द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र (dwadash jyotirlinga stotram) का
विस्तार से वर्णन नीचे दिए गए 12 ज्योतिर्लिंगों(12 jyotirlinga) की जानकारी
में है. हमने यहाँ सभी ज्योतिर्लिंगों (jyotirlinga)की जानकारी अलग -अलग एवं
विस्तृत रुप मे दी है.
विस्तार से वर्णन नीचे दिए गए 12 ज्योतिर्लिंगों(12 jyotirlinga) की जानकारी
में है. हमने यहाँ सभी ज्योतिर्लिंगों (jyotirlinga)की जानकारी अलग -अलग एवं
विस्तृत रुप मे दी है.
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – Somnath jyotirlinga :-
सौराष्ट्रदेशे विशदेsतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम।भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।
अर्थात
:- जो शिव अपनी भक्ति प्रदान करने के लिए सौराष्ट्र प्रदेश में दयापूर्वक
अवतरित हुए हैं, चंद्रमा जिनके मस्तक का आभूषण बना है, उन ज्योतिर्लिंग
(jyotirlinga) स्वरुप भगवान श्री सोमनाथ (somnath) की शरण में मैं जाता हूँ.
:- जो शिव अपनी भक्ति प्रदान करने के लिए सौराष्ट्र प्रदेश में दयापूर्वक
अवतरित हुए हैं, चंद्रमा जिनके मस्तक का आभूषण बना है, उन ज्योतिर्लिंग
(jyotirlinga) स्वरुप भगवान श्री सोमनाथ (somnath) की शरण में मैं जाता हूँ.
जब कभी भी आदि अनादि देव भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के बात होती
है तब सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (somnath jyotirlinga) का नाम सबसे पहले लिया जाता
है. सोमनाथ मंदिर (somnath temple) हिन्दू धर्म मे जितना धार्मिक और पवित्र है
इतना ही रोचक इसका इतिहास है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो (12 jyotirlinga)
में से यह पहला ज्योतिर्लिंग है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात राज्य के
काठियावाड़ जिले के वेरावल प्रांत में बना हुआ है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे
में विस्तृत जानकारी के लिए
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है तब सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (somnath jyotirlinga) का नाम सबसे पहले लिया जाता
है. सोमनाथ मंदिर (somnath temple) हिन्दू धर्म मे जितना धार्मिक और पवित्र है
इतना ही रोचक इसका इतिहास है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगो (12 jyotirlinga)
में से यह पहला ज्योतिर्लिंग है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात राज्य के
काठियावाड़ जिले के वेरावल प्रांत में बना हुआ है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे
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2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – Mallikarjuna jyotirlinga :-
श्रीशैलश्रृंगे विबुधातिसंगेतुलाद्रितुंगेsपि मुदा वसन्तम।तमर्जुनं मल्लिकापूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम।।
अर्थात
:- जो ऊँचाई के आदर्शभूत पर्वतों से भी बढ़कर ऊँचे श्री शैल के शिखर पर, जहाँ
देवताओं का अत्यन्त समागम रहता है, प्रसन्नतापूर्वक निवास करते हैं तथा जो
संसार-सागर से पार कराने के लिए पुल के समान है, उन एकमात्र प्रभु मल्लिकार्जुन
(mallikarjuna) को मैं नमस्कार करता हूँ।
:- जो ऊँचाई के आदर्शभूत पर्वतों से भी बढ़कर ऊँचे श्री शैल के शिखर पर, जहाँ
देवताओं का अत्यन्त समागम रहता है, प्रसन्नतापूर्वक निवास करते हैं तथा जो
संसार-सागर से पार कराने के लिए पुल के समान है, उन एकमात्र प्रभु मल्लिकार्जुन
(mallikarjuna) को मैं नमस्कार करता हूँ।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर (mallikarjuna jyotirlinga temple) भगवान शिव
और माता पार्वती को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है. यहाँ भगवान शिव-पार्वती को
मल्लिकार्जुन (mallikarjuna) के रूप में पूजा जाता है…मल्लिका माता पार्वती
का उपनाम है और अर्जुन अर्थात स्वयं भगवान शिव. यह भारत का एक मात्र ऐसा
शिवलिंग है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती सम्मिलित रूप से बिराजमान है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (mallikarjuna jyotirlinga) के बारे में विस्तृत
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और माता पार्वती को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है. यहाँ भगवान शिव-पार्वती को
मल्लिकार्जुन (mallikarjuna) के रूप में पूजा जाता है…मल्लिका माता पार्वती
का उपनाम है और अर्जुन अर्थात स्वयं भगवान शिव. यह भारत का एक मात्र ऐसा
शिवलिंग है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती सम्मिलित रूप से बिराजमान है.
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3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – Mahakaleshwar jyotirlinga :-
अवन्तिकायां विहितावतारंमुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम।अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम।।
अर्थात
:- संतजनो को मोक्ष देने के लिए जिन्होंने अवन्तिपुरी में अवतार धारण
किया है, उन महाकाल नाम से विख्यात महादेवजी को मैं अकाल मृत्यु से बचाने के
लिए प्रणाम करता हूँ.
:- संतजनो को मोक्ष देने के लिए जिन्होंने अवन्तिपुरी में अवतार धारण
किया है, उन महाकाल नाम से विख्यात महादेवजी को मैं अकाल मृत्यु से बचाने के
लिए प्रणाम करता हूँ.
मध्य प्रदेश के मालवा में क्षुपरा नदी के तट पर बसी है भारत की सबसे
प्राचीन,धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी उज्जैन… उज्जैन जो अलग अलग सदी में
अलग अलग नामो से जानी जाती रही है…जैसेकि उज्जैनी, अमरावती,अवन्तिका और
कनकश्रृंगा. ओर इसी नगरी के रुद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है काल के
भी काल महाकाल (mahakal) का ज्योतिर्लिंग. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
(mahakaleshwar jyotirlinga) के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए
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प्राचीन,धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी उज्जैन… उज्जैन जो अलग अलग सदी में
अलग अलग नामो से जानी जाती रही है…जैसेकि उज्जैनी, अमरावती,अवन्तिका और
कनकश्रृंगा. ओर इसी नगरी के रुद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है काल के
भी काल महाकाल (mahakal) का ज्योतिर्लिंग. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
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4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – Omkareshwar jyotirlinga :-
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय।सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे।।
अर्थात
:- जो सत्पुरुषो को संसार सागर से पार उतारने के लिए कावेरी और नर्मदा के
पवित्र संगम के निकट मान्धाता के पुर में सदा निवास करते हैं, उन अद्वित्तीय
कल्याणमय भगवान ऊँकारेश्वर (omkareshwar ) का मैं स्तवन करता हूँ.
:- जो सत्पुरुषो को संसार सागर से पार उतारने के लिए कावेरी और नर्मदा के
पवित्र संगम के निकट मान्धाता के पुर में सदा निवास करते हैं, उन अद्वित्तीय
कल्याणमय भगवान ऊँकारेश्वर (omkareshwar ) का मैं स्तवन करता हूँ.
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच शिवपुरी नामक द्वीप पर मौजूद
भगवान शिव का ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (omkareshwar jyotirlinga). यह द्वीप
हिन्दू पवित्र चिहन ॐ के आकार में बना हुआ है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
(omkareshwar jyotirlinga) भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (omkareshwar
jyotirlinga) में से एक है…और इसे चौथे ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता
है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (omkareshwar jyotirlinga) के बारे में
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भगवान शिव का ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (omkareshwar jyotirlinga). यह द्वीप
हिन्दू पवित्र चिहन ॐ के आकार में बना हुआ है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
(omkareshwar jyotirlinga) भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (omkareshwar
jyotirlinga) में से एक है…और इसे चौथे ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता
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5. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – Vaidyanath jyotirlinga :-
पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम।सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि।।
अर्थात
:- जो पूर्वोत्तर दिशा में चिताभूमि के भीतर सदा ही गिरिजा के साथ वास करते
हैं, देवता और असुर जिनके चरण कमलों की आराधना करते हैं, उन श्री वैद्यनाथ को
मैं प्रणाम करता हूँ.
:- जो पूर्वोत्तर दिशा में चिताभूमि के भीतर सदा ही गिरिजा के साथ वास करते
हैं, देवता और असुर जिनके चरण कमलों की आराधना करते हैं, उन श्री वैद्यनाथ को
मैं प्रणाम करता हूँ.
वैद्यनाथ मंदिर (Vaidyanath jyotirlinga) नाम से भारत मे तीन मंदिर मौजूद है.
वैद्यनाथ मंदिर (Vaidyanath temple) का स्थान विवादित बना हुआ है पर उसके कथा
और पवित्रता आज भी कायम है. द्रदश ज्योतिर्लिंग मंत्र (dwadash jyotirlinga
mantra) के अनुसार यह मंदिर महाराष्ट्र के पर्ली में स्थित है…परंतु
शिवमहापुराण के अनुसार यह मंदिर जारखंड के देवगढ़ जिले में स्थित माना गया
है. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath jyotirlinga) के बारे में विस्तृत
जानकारी के लिए
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वैद्यनाथ मंदिर (Vaidyanath temple) का स्थान विवादित बना हुआ है पर उसके कथा
और पवित्रता आज भी कायम है. द्रदश ज्योतिर्लिंग मंत्र (dwadash jyotirlinga
mantra) के अनुसार यह मंदिर महाराष्ट्र के पर्ली में स्थित है…परंतु
शिवमहापुराण के अनुसार यह मंदिर जारखंड के देवगढ़ जिले में स्थित माना गया
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6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – Bhimashankar jyotirlinga:-
यं डाकिनीशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च।सदैव भीमादिपदप्रसिद्धं तं शंकरं भक्तहितं नमामि।।
अर्थात
:- जो डाकिनी और शाकिनी वृन्द में प्रेतों द्वारा सदैव सेवित होते हैं, उन
भक्ति हितकारी भगवान भीम शंकर को मैं प्रणाम करता हूँ.
:- जो डाकिनी और शाकिनी वृन्द में प्रेतों द्वारा सदैव सेवित होते हैं, उन
भक्ति हितकारी भगवान भीम शंकर को मैं प्रणाम करता हूँ.
महाराष्ट्र के पूना जिले से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित है भारत का ऐतिहासिक
एवं पवित्र मंदिर…जो भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (bhimashankar jyotirlinga) के
नाम से जाना जाता है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (bhimashankar jyotirlinga) 12
ज्योतिर्लिंग में से एक और छटवां प्रमुख ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) है. भारत
मे भीमाशंकर (bhimashankar) नाम के दो मंदिर प्रचलित है. एक महराष्ट्र के पुणे
में स्थित है और दूसरा आसाम के कामरूप जिले में स्थित है. प्राचीन समय मे आसाम
को कामरूप के नाम से जाना जाता था. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (bhimashankar
jyotirlinga) के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए
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एवं पवित्र मंदिर…जो भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (bhimashankar jyotirlinga) के
नाम से जाना जाता है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (bhimashankar jyotirlinga) 12
ज्योतिर्लिंग में से एक और छटवां प्रमुख ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) है. भारत
मे भीमाशंकर (bhimashankar) नाम के दो मंदिर प्रचलित है. एक महराष्ट्र के पुणे
में स्थित है और दूसरा आसाम के कामरूप जिले में स्थित है. प्राचीन समय मे आसाम
को कामरूप के नाम से जाना जाता था. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (bhimashankar
jyotirlinga) के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए
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7. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग – Rameshwaram jyotirlinga :-
सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यै।श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि।।
अर्थात
:- जो भगवान श्री रामचन्द्र जी के द्वारा ताम्रपर्णी और सागर के संगम में अनेक
बाणों द्वारा पुल बाँधकर स्थापित किये गए, उन श्री रामेश्वर (rameshwar) को मैं
नियम से प्रणाम करता हूँ.
:- जो भगवान श्री रामचन्द्र जी के द्वारा ताम्रपर्णी और सागर के संगम में अनेक
बाणों द्वारा पुल बाँधकर स्थापित किये गए, उन श्री रामेश्वर (rameshwar) को मैं
नियम से प्रणाम करता हूँ.
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (rameshwaram jyotirlinga) दक्षिण भारत के
तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम (rameshwaram) नामक स्थान पर स्थित है. ऐसा माना
जाता है रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (rameshwaram jyotirlinga) की स्थापना भगवान
विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्री राम ने की है. हिन्दू धर्म की मान्यता के
अनुसार यह मंदिर की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है…और सात जन्मों
के पापों से मुक्ति मिलती है. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (rameshwaram jyotirlinga)
के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए
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तमिलनाडु राज्य में रामेश्वरम (rameshwaram) नामक स्थान पर स्थित है. ऐसा माना
जाता है रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (rameshwaram jyotirlinga) की स्थापना भगवान
विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्री राम ने की है. हिन्दू धर्म की मान्यता के
अनुसार यह मंदिर की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है…और सात जन्मों
के पापों से मुक्ति मिलती है. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (rameshwaram jyotirlinga)
के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए
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8. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – Nageshwar jyotirlinga :-
याम्ये सदंगे नगरेsतिरम्ये विभूषितांग विविधैश्च भोगै।सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये।।
अर्थात
:- जो दक्षिण के अत्यन्त रमणीय सदंग नगर में विविध भोगो से संपन्न होकर आभूषणों
से भूषित हो रहे हैं, जो एकमात्र सदभक्ति और मुक्ति को देने वाले हैं, उन प्रभु
श्री नागनाथ जी की शरण में मैं जाता हूँ.
:- जो दक्षिण के अत्यन्त रमणीय सदंग नगर में विविध भोगो से संपन्न होकर आभूषणों
से भूषित हो रहे हैं, जो एकमात्र सदभक्ति और मुक्ति को देने वाले हैं, उन प्रभु
श्री नागनाथ जी की शरण में मैं जाता हूँ.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (nageshwar jyotirlinga) 12 ज्योतिर्लिंग में से एक और
दशवा प्रमुख ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) है. भारत मे नागेश्वर (nageshwar) नाम
के और दो मंदिर प्रचलित है. एक उत्तराखंड के अल्मोड़ा प्रांत में है और
दूसरा महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
(nageshwar jyotirlinga) का स्थान बहुत विवादास्पद है. शिवमहापुराण के अनुसार
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (nageshwar jyotirlinga) दारुक वन स्थित में है…और
दारुक वन का उल्लेख दंदकावना, काम्यकावना और दैत्यवना जैसे कई ग्रंथो में मिलता
है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (nageshwar jyotirlinga) के बारे में विस्तृत
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दशवा प्रमुख ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) है. भारत मे नागेश्वर (nageshwar) नाम
के और दो मंदिर प्रचलित है. एक उत्तराखंड के अल्मोड़ा प्रांत में है और
दूसरा महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
(nageshwar jyotirlinga) का स्थान बहुत विवादास्पद है. शिवमहापुराण के अनुसार
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (nageshwar jyotirlinga) दारुक वन स्थित में है…और
दारुक वन का उल्लेख दंदकावना, काम्यकावना और दैत्यवना जैसे कई ग्रंथो में मिलता
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9. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – Kashi vishwanath jyotirlinga :-
सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम।वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।।
अर्थात
:- जो स्वयं आनंद कन्द हैं और आनंदपूर्वक आनन्द वन में वास करते हैं, जो पाप
समूह के नाश करने वाले हैं, उन अनाथों के नाथ काशीपति श्री विश्वनाथ
(vishwanath) मैं जाता हूँ.
:- जो स्वयं आनंद कन्द हैं और आनंदपूर्वक आनन्द वन में वास करते हैं, जो पाप
समूह के नाश करने वाले हैं, उन अनाथों के नाथ काशीपति श्री विश्वनाथ
(vishwanath) मैं जाता हूँ.
उत्तरप्रदेश राज्य के काशी शहर में गंगा नदी के किनारे स्थित है भारत एवं
दुनिया भर में प्रसिद्ध भगवान विश्वनाथ का अलौकिक मंदिर…जो काशी विश्वनाथ
मंदिर (kashi vishwanath temple) के नाम से जाना जाता है. भगवान शिव को समर्पित
इस मंदिर से लाखों – करोड़ों शिव भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है. काशी विश्वनाथ
ज्योतिर्लिंग (kashi vishwanath jyotirlinga) के बारे में विस्तृत जानकारी के
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दुनिया भर में प्रसिद्ध भगवान विश्वनाथ का अलौकिक मंदिर…जो काशी विश्वनाथ
मंदिर (kashi vishwanath temple) के नाम से जाना जाता है. भगवान शिव को समर्पित
इस मंदिर से लाखों – करोड़ों शिव भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है. काशी विश्वनाथ
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10. त्रियंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग -Trimbakeshwar jyotirlinga :-
सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरीतीरपवित्रदेशे।यद्दर्शनात्पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे।।
अर्थात
:- जो गोदावरी तट के पवित्र देश में सह्य पर्वत के विमल शिखर पर वास करते हैं,
जिनके दर्शन से तुरन्त ही पातक नष्ट हो जाता है, उन श्री त्र्यम्बकेश्वर
(Trimbakeshwar) का मैं स्तवन करता हूँ.
:- जो गोदावरी तट के पवित्र देश में सह्य पर्वत के विमल शिखर पर वास करते हैं,
जिनके दर्शन से तुरन्त ही पातक नष्ट हो जाता है, उन श्री त्र्यम्बकेश्वर
(Trimbakeshwar) का मैं स्तवन करता हूँ.
महाराष्ट्र के नाशिक जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है भारत की पवित्र एवं
प्राचीन भूमि जो त्र्यम्बक के नाम से जानी जाती है…त्र्यम्बक में गौतमी नदी
के तट पर स्थित त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar jyotirlinga)
हिन्दुओ के पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मे से एक है. त्रियंबकेश्वर
ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar jyotirlinga) के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए
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प्राचीन भूमि जो त्र्यम्बक के नाम से जानी जाती है…त्र्यम्बक में गौतमी नदी
के तट पर स्थित त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar jyotirlinga)
हिन्दुओ के पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मे से एक है. त्रियंबकेश्वर
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11. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग – kedarnath jyotirlinga :-
महाद्रिपार्श्चे च तट रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रै।सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे।।
अर्थात
:- जो महागिरि हिमालय के पास केदारश्रृंग के तट पर सदा निवास करते हुए
मुनीश्वरो द्वारा पूजित होते हैं तथा देवता, असुर, यज्ञ और महान सर्प आदि भी
जिनकी पूजा करते हैं, उन एक कल्याणकारक भगवान केदारनाथ (kedarnath) का मैं
स्तवन करता हूँ.
:- जो महागिरि हिमालय के पास केदारश्रृंग के तट पर सदा निवास करते हुए
मुनीश्वरो द्वारा पूजित होते हैं तथा देवता, असुर, यज्ञ और महान सर्प आदि भी
जिनकी पूजा करते हैं, उन एक कल्याणकारक भगवान केदारनाथ (kedarnath) का मैं
स्तवन करता हूँ.
उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर. केदारनाथ मंदिर
(kedarnath temple) चारधाम और पंचकेदार में से एक है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
मंदिर (kedarnath jyotirlinga temple) भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों (12
jyotirlinga) में से पांचवा प्रमुख ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) है. इस
ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के निर्माण की 2 कथा प्रचलित है. जिसमे
एक कथा का वर्णन शिवपुराण में मिलता है और दूसरा महाभारत ग्रंथ में मिलता है.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (kedarnath jyotirlinga) के बारे में विस्तृत जानकारी के
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(kedarnath temple) चारधाम और पंचकेदार में से एक है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
मंदिर (kedarnath jyotirlinga temple) भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों (12
jyotirlinga) में से पांचवा प्रमुख ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) है. इस
ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के निर्माण की 2 कथा प्रचलित है. जिसमे
एक कथा का वर्णन शिवपुराण में मिलता है और दूसरा महाभारत ग्रंथ में मिलता है.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (kedarnath jyotirlinga) के बारे में विस्तृत जानकारी के
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12. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग – Ghushmeshwar jyotirlinga :-
इलापुरे रम्यविशालकेsस्मिन समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम।वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णे श्वराख्यं शरणं प्रपद्ये।।
अर्थात
:- जो इलापुर के सुरम्य मंदिर में विराजमान होकर समस्त जगत के आराधनीय हो रहे
हैं, जिनका स्वभाव बड़ा ही उदार है, उन घृष्णेश्वर (ghushmeshwar) नामक
ज्योतिर्मय भगवान शिव की शरण में मैं जाता हूँ.
:- जो इलापुर के सुरम्य मंदिर में विराजमान होकर समस्त जगत के आराधनीय हो रहे
हैं, जिनका स्वभाव बड़ा ही उदार है, उन घृष्णेश्वर (ghushmeshwar) नामक
ज्योतिर्मय भगवान शिव की शरण में मैं जाता हूँ.
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर (ghushmeshwar jyotirlinga temple) अजंता एलोरा
की गुफाओ के पास देवगिरि के समीप तड़ाग में स्थित है. घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र के दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास स्थित है.
इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में द्वादशवें ज्योतिर्लिंग (dwadash jyotirlinga) का
नाम ‘घुश्मेश्वर’ है. इन्हें ‘घृष्णेश्वर’ और ‘घुसृणेश्वर’ के नाम से भी जाना
जाता है. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए
यहाँ क्लिक करें.
की गुफाओ के पास देवगिरि के समीप तड़ाग में स्थित है. घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र के दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर दूर बेरूलठ गांव के पास स्थित है.
इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में द्वादशवें ज्योतिर्लिंग (dwadash jyotirlinga) का
नाम ‘घुश्मेश्वर’ है. इन्हें ‘घृष्णेश्वर’ और ‘घुसृणेश्वर’ के नाम से भी जाना
जाता है. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए
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ज्योतिर्मयद्वादशलिंगानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण।
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोsतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च।।
अर्थात :- यदि मनुष्य क्रमश: कहे गये इन
द्वादश ज्योतिर्मय शिव लिंगो के स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ करें तो इनके दर्शन
से होने वाला फल प्राप्त कर सकता है.
द्वादश ज्योतिर्मय शिव लिंगो के स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ करें तो इनके दर्शन
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