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पूरा नाम | अहिल्याबाई खंडेराव होलकर |
पति का नाम | खंडेराव होलकर |
पिता का नाम | मानकोजी शिंदे |
माता का नाम | सुशीलाबाई शिंदे |
जन्म तारीख | 31 मई 1725 |
जन्म स्थल | चौंढी गाम, अहमदनगर, महाराष्ट्र |
ससुर का नाम | मल्हारराव होलकर |
राज्याभिषेक | 11 दिसंबर 1767 |
उपनाम | राजमाता, पुष्यलोक, देवी |
पुत्र एवं पुत्री | मालेराव होलकर, मुक्ताबाई होलकर |
मृत्यु स्थल | 13 अगस्त 1795, महेश्वर |
रानी अहिल्याबाई होलकर की जीवनी – ahilyabaee holkar story in hindi
रानी अहिल्याबाई होलकर का जन्म ईस 31 मई 1725 में महाराष्ट्र के अहमदनगर के चौंढी गाम में हुआ था. उनके पिता का नाम मानकोजी शिंदे और माता का नाम सुशीलाबाई शिंदे था. अहिल्याबाई के पिता गॉव के पाटिल थे. बचपन से ही बुद्धिमान और बहादुर अहिल्या किसे पता था कि, यह आगे बढ़कर मालवा प्रांत की महारानी कहलायेगी.
महज 9 या 10 साल की उम्र में अहिल्याबाई की शादी मालवा प्रांत के श्रीमंत मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव होलकर से हो गई थी. और मात्र 29 वर्ष की उम्र में अहिल्याबाई विधवा भी हो गई थी. इसके बाद 11 दिसंबर 1767 को अहिल्याबाई का मालवा प्रांत की महारानी के रूप में राज्याभिषेक करवाया गया.
अहिल्याबाई और उनके ससुर मल्हारराव होलकर का मिलन
अहिल्याबाई की आयु जब मात्र 9 वर्ष की थी, तब वह अपने गाँव मे खेल रही थी. तभी वहां से मल्हारराव होलकर अपनी सेना के साथ वहां से गुजर रहे थे. सेना को अपनी और आते हुए देख अहिल्याबाई की सारी सहेलिया वहां से भाग गई, परंतु अहिल्याबाई वही पर खड़ी रही.
अहिल्याबाई की हिम्मत और बहादुरी को देखकर मल्हारराव होलकर ने उनको अपने घर की बहू बनाने का सोचा…और अहिल्याबाई की शादी अपने बेटे खंडेराव होलकर से करवा दी.
अहिल्याबाई कैसे बनी मालवा प्रांत की महारानी
सन 1745 में अहिल्याबाई को एक पुत्र हुआ जिसका नाम मालेराव होलकर रखा गया. और इसके तीन वर्ष के बाद एक पुत्री हुई जिसका नाम मुक्ताबाई होलकर रखा गया. ईस 1754 में अहिल्याबाई के पति खंडेराव की मुत्यु कुंभेर के युद्ध मे हो गई.
मात्र 29 वर्ष की उम्र में अहिल्याबाई विधवा हो गई. उस समय के रीति-रिवाज के अनुसार अहिल्याबाई सती होने चाहती थी. पर उनके ससुर मल्हारराव होलकर ने उनको ऐसा करने नही दिया.
अहिल्याबाई पहले से ही राजपाठ, युद्धनीति और राज्यव्यवस्था में बहुत कुशल थी. इसीलिए मल्हारराव ने 11 दिसंबर 1767 के रोज अहिल्याबाई का राज्याभिषेक मालवा क्षेत्र की महारानी के रूप में कर दिया. राज्यव्यवस्था अपने हाथ मे लेते ही, अहिल्याबाई ने महेश्वर को अपनी नई राजधानी घोषित कर दिया.
महारानी अहिल्याबाई को लोगो द्वारा राजमाता, पुष्यलोक और देवी जैसे कई उपनाम दिए गये. महारानी अहिल्याबाई अपने न्यायप्रिय स्वभाव के कारण लोगो मे जानी जाती है. उन्होंने भारत मे कई हिन्दू मंदिरो के बनवाया. और तो और उन्होंने गंगा किनारे के घाट बनवाये. महारानी अहिल्याबाई की मृत्यु 13 अगस्त 1795 को मालवा की राजधानी महेश्वर में हुई थी.