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द्वारिका नगरी जो गुजरात राज्य के दक्षिणी छोर पर गोमती नदी के तट स्थित
द्वारका जिले का एक शहर है. द्वारिका शब्द एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब द्वार
और दरवाजा होता है. द्वारिका को मोक्ष का दरवाजा भी कहा जाता है.
द्वारका जिले का एक शहर है. द्वारिका शब्द एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब द्वार
और दरवाजा होता है. द्वारिका को मोक्ष का दरवाजा भी कहा जाता है.
द्वारिका नगरी चार धाम और सप्तपुरी में से एक है. सप्तपुरी यानी भारत के
प्राचीन सात शहरों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि द्वारिका नगरी को खुद
भगवान श्री कृष्ण ने बसाया था…और यही पर श्री कृष्ण ने शाशन भी किया
था.
प्राचीन सात शहरों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि द्वारिका नगरी को खुद
भगवान श्री कृष्ण ने बसाया था…और यही पर श्री कृष्ण ने शाशन भी किया
था.
● आज हम किसीको चारधाम के बारे में पूछते है तो वह
केदारनाथ,
बद्रीनाथ,
गंगोत्री
और
यमुनोत्री
के बारे में बताते है…जब कि यह छोटे चारधाम है. चारधाम के रूप में बद्रीनाथ,
जगन्नाथपुरी, द्वारका और
रामेश्वरम
को पूजा जाता है.
केदारनाथ,
बद्रीनाथ,
गंगोत्री
और
यमुनोत्री
के बारे में बताते है…जब कि यह छोटे चारधाम है. चारधाम के रूप में बद्रीनाथ,
जगन्नाथपुरी, द्वारका और
रामेश्वरम
को पूजा जाता है.
द्वारिका में स्थित भगवान द्वारकाधीश का मंदिर हिन्दुओ के लिए सबसे महत्वपूर्ण
तीर्थस्थानों में से एक है. द्वारिका को दूसरे द्वारका, द्वारवती और कौशल्याली
के नाम से भी जाना जाता है. द्वारिका नगरी को भगवान श्री कृष्ण के राज्य की
राजधानी भी माना जाता है.
तीर्थस्थानों में से एक है. द्वारिका को दूसरे द्वारका, द्वारवती और कौशल्याली
के नाम से भी जाना जाता है. द्वारिका नगरी को भगवान श्री कृष्ण के राज्य की
राजधानी भी माना जाता है.
चारधाम Chardham | स्थल Place |
---|---|
बद्रीनाथ Dadrinath | चमोली जिला, उत्तराखंड Chamoli, Uttarakhand |
द्वारका Dvaraka | द्वारका जिला, गुजरात Dvaraka jilla, Gujarat |
जगन्नाथपुरीJagannathpuri | पुरी, ओडिशा Puri, odisha |
रामेश्वर मंदिर Rameshwar temple | रामेश्वरम, तमिलनाडु Rameshwaram, tamilnadu |
द्वारिका नगरी का इतिहास -History of DWARIKA NAGRI
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वारिका नगरी का निर्माण भगवान विष्णु के
सातवें अवतार श्री कृष्ण ने करवाया था. श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में
हुआ था…पर उनका बचपन गोकुल में महाराज नन्ददेव के यहां बीता.
सातवें अवतार श्री कृष्ण ने करवाया था. श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में
हुआ था…पर उनका बचपन गोकुल में महाराज नन्ददेव के यहां बीता.
मथुरा के राजा और श्री कृष्ण के मामा कंश को एक आकाशवाणी से पता चला था कि
देवकी की आंठवी संतान उनका वध करेगी. इसी कारण कंश ने श्री कृष्ण के माता पिता
को मथुरा के कारगृह में बंद कर दिया था.
देवकी की आंठवी संतान उनका वध करेगी. इसी कारण कंश ने श्री कृष्ण के माता पिता
को मथुरा के कारगृह में बंद कर दिया था.
बड़े होने पर श्री कृष्ण ने हत्याचारी मामा कंश को सबक सिखाने के लिए मथुरा आये.
श्री कृष्ण ने अपने मामा कंश का वध करके उनके अत्याचारों के अंत किया था और
वर्षो से बंदी अपने माता पिता को कारगृह से छुड़वाया था.
श्री कृष्ण ने अपने मामा कंश का वध करके उनके अत्याचारों के अंत किया था और
वर्षो से बंदी अपने माता पिता को कारगृह से छुड़वाया था.
जरासंध ने मथुरा पर बार बार आक्रमण करके वहाँ की प्रजा को परेशान कर रहा था.
जरासंध कंश का ससुर था और वह कंश के वध का बदला लेना चाहता था. उसने मथुरा पर
18 बार हमला किया था.
जरासंध कंश का ससुर था और वह कंश के वध का बदला लेना चाहता था. उसने मथुरा पर
18 बार हमला किया था.
जरासंध के मथुरा पर बार बार आक्रमण के कारण मथुरा वासियो की रक्षा के लिए श्री
कृष्ण सभी यादवो को लेकर द्वारिका आ गए…और एक नये नगर की स्थापना की.
कृष्ण सभी यादवो को लेकर द्वारिका आ गए…और एक नये नगर की स्थापना की.
कुछ दंतकथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि द्वारिका नगरी के निर्माण के लिए
श्री कृष्ण ने जगह समुद्रदेव से मांगी थी. श्री कृष्ण ने नगर के निर्माण का
कार्य देवताओ के आर्किटेक्ट विश्वकर्माजी को दिया था. विश्वकर्माजी ने एक ही
रात में द्वारिका नगरी का निर्माण किया था.
श्री कृष्ण ने जगह समुद्रदेव से मांगी थी. श्री कृष्ण ने नगर के निर्माण का
कार्य देवताओ के आर्किटेक्ट विश्वकर्माजी को दिया था. विश्वकर्माजी ने एक ही
रात में द्वारिका नगरी का निर्माण किया था.
गांधारी के श्राप के कारण नष्ट हो गई द्वारिका नगरी – City of Dwarka estroyed
due to curse of Gandhari
यह बात का उललेख हमे हरिवंश पुराण में मिलता है. द्वापरयुग में द्वारिका नगरी
बसाने के बाद श्री कृष्ण महाभारत के युद्ध मे अर्जुन के सारथी बने. महाभारत की
युद्ध भूमि पर उन्होंने गीता का ज्ञान बाँटा.
बसाने के बाद श्री कृष्ण महाभारत के युद्ध मे अर्जुन के सारथी बने. महाभारत की
युद्ध भूमि पर उन्होंने गीता का ज्ञान बाँटा.
कौरवो का वध किया तो पांडवो ने था…पर गांधारी अपने पुत्रों के वध का कारण
श्री कृष्ण को मानती थी. इसीलिए गांधारी ने श्री कृष्ण को श्राप दिया था कि
उनकी बसाई हुई द्वारिका नगरी नष्ट होकर समुद्र में मिल जाएगी. उनके वंश का नाश
होगा.
श्री कृष्ण को मानती थी. इसीलिए गांधारी ने श्री कृष्ण को श्राप दिया था कि
उनकी बसाई हुई द्वारिका नगरी नष्ट होकर समुद्र में मिल जाएगी. उनके वंश का नाश
होगा.
गांधारी के श्राप के छत्तीस साल बाद द्वारिका नगरी समुद्र में मिल गई थी. पर
श्री कृष्ण पहले ही द्वारिका नगरी को छोड़ चुके थे. द्वारिका के नष्ट होने के
कुछ समय बार जला नाम के पारधी ने श्री कृष्ण के पैर पर बाण मारा था.
श्री कृष्ण पहले ही द्वारिका नगरी को छोड़ चुके थे. द्वारिका के नष्ट होने के
कुछ समय बार जला नाम के पारधी ने श्री कृष्ण के पैर पर बाण मारा था.
यही पर श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग किया था. सत्य, प्रेम,भक्ति और शक्ति के
पुजारी श्रीकृष्ण ईस पुर्व 3102 में चैत्री सुक्र प्रतिबधा की दोपहर 2:27 मिनिट
में अपने मानव शरीर को छोड़कर चले अपने धाम वैकुंठ चले गए.
पुजारी श्रीकृष्ण ईस पुर्व 3102 में चैत्री सुक्र प्रतिबधा की दोपहर 2:27 मिनिट
में अपने मानव शरीर को छोड़कर चले अपने धाम वैकुंठ चले गए.
द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास – History of DWARKADISH Temple
द्वारकाधीश का मंदिर गुजरात के दक्षिणी छोर पर गोमती नदी और समुद्र के संगम
स्थान पर स्थित है. यह मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ इसका वास्तविक प्रमाण
तो नही है. पर ऐसा माना जाता है कि द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण सातवी सताब्दी
में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था.
स्थान पर स्थित है. यह मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ इसका वास्तविक प्रमाण
तो नही है. पर ऐसा माना जाता है कि द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण सातवी सताब्दी
में आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था.
एक मान्यता के अनुसार द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण श्री कृष्ण के वंशज वज्रनाभ
ने कृष्ण के निवाश स्थान पर करवाया था. यह मंदिर पर आक्रमणकारीयो द्वारा कई बार
हमला हुआ और फिर भक्तो द्वारा बनवाया भी गया.
ने कृष्ण के निवाश स्थान पर करवाया था. यह मंदिर पर आक्रमणकारीयो द्वारा कई बार
हमला हुआ और फिर भक्तो द्वारा बनवाया भी गया.
◆ द्वारकाधीश मंदिर पर हुए हमले और पुनःनिर्माण
-
● भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की एक खोज द्वारा यह भी माना जाता है कि
यह मंदिर 2000 से 2200 साल पुराना है. - ● 14वीं सताब्दी तक यह मंदिर के रक्षण का दायित्व राजपूतो का था.
-
● 15वीं सताब्दी में मुस्लिम हमलावर महमूद बेगड़ा ने द्वारकाधीश मंदिर पर
हमला किया और यहां का खजाना लूटा. -
● बाद में 18वीं सताब्दी में अंग्रेजों द्वारा किये गए हमलों में यह मंदिर
को काफी हद तक नुकसान हुआ था. -
● 19वीं सताब्दी में गोंडल के राजा सयाजीराव गायकवाड़ ने द्वारकाधीश मंदिर
का पुन:निर्माण करवाया था.
द्वारकाधीश मंदिर को नागरा वास्तुकला के आधार पर बनवाया गया है. यह मंदिर का
निर्माण चुना पत्थरों द्वारा किया है. यह पांच मंजिला द्वारकाधीश मंदिर आज भी
भक्तो की आस्था का केन्द्र है.
निर्माण चुना पत्थरों द्वारा किया है. यह पांच मंजिला द्वारकाधीश मंदिर आज भी
भक्तो की आस्था का केन्द्र है.
द्वारकाधीश मंदिर की दीवारों पर देवी देवताओं और पशु पक्षियों की सुंदर
कलाकृतियों के दर्शन होते है. द्वारकाधीश मंदिर में 60 स्तंभ है. मंदिर का शिखर
37.83 मीटर ऊंचा है.
कलाकृतियों के दर्शन होते है. द्वारकाधीश मंदिर में 60 स्तंभ है. मंदिर का शिखर
37.83 मीटर ऊंचा है.
द्वारकाधीश मंदिर में पूजा का समय – Timings of DWARKADHIDH Temple
मंदिर खुलने का समय और मंगला आरती | ● 6:30 A.M. |
श्रृंगार आरती | ● 10:30 A.M. |
मंदिर व्यस्था के कारण मंदिर बंद | ● 1:00 A.M. TO 5:00 P.M. |
संध्या आरती | ● 7:30 P.M. |
शयन आरती | ● 8:30 P.M. |
मंदिर बंद | ● 9:00 P.M. TO 6:30 A.M. |
विशेष त्योहारों एवं विशेष दिवस पर यह समय परिवर्तित भी हो सकता है. भगवान
द्वारकाधीश को यहां के राजा माना जाता है. भगवान द्वारकाधीश को दिवस दरमियान 11
बाद भोग लगाया जाता है.
द्वारकाधीश मंदिर के आसपास गुमने लायक जगह – places to visit near dwarka temple
Note
दोस्तों अगर आपको हमारा ये BOLG पसंद आया हो…और इसमें आपको कोई भूल या कमी नजर
आयी हो तो हमे COMMENT के माध्यम से सूचित करें. ■ आपकी बताई गई सूचना को हम 48
घंटे में सही करने की कोशिस करेगे…ओर आपके एक सुजाव से किसीके पास भी गलत
information नही पहोच पायेगी.