देवभूमि नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड में ऐसे कई तीर्थ स्थल मौजूद है जिनका
अपना धार्मिक महत्व है…और इनसे लाखो – करोड़ो श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है.
ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित
है…जिसे लोग बद्रीनाथ मंदिर Badrinath temple के नाम से जानते है.
अपना धार्मिक महत्व है…और इनसे लाखो – करोड़ो श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है.
ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित
है…जिसे लोग बद्रीनाथ मंदिर Badrinath temple के नाम से जानते है.
बद्रीनाथ मंदिर को बद्रीनारायण मंदिर Badrinarayan temple के नाम से भी
जाना जाता है. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथ Badrinath god को
समर्पित है. यह मंदिर चारधाम, छोटे चारधाम एवं पंच बदरी में से एक है. ऋषिकेश से
बद्रीनाथ मंदिर Rishikesh to Badrinath temple 294 किलोमीटर दूर उत्तर
दिशा में स्थित है.
जाना जाता है. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथ Badrinath god को
समर्पित है. यह मंदिर चारधाम, छोटे चारधाम एवं पंच बदरी में से एक है. ऋषिकेश से
बद्रीनाथ मंदिर Rishikesh to Badrinath temple 294 किलोमीटर दूर उत्तर
दिशा में स्थित है.
● आज हम किसीको चारधाम Chardham के बारे में पूछते है तो वह केदारनाथ
Kedarnath, बद्रीनाथ Badrinath, गंगोत्री Gangotri और
यमुनोत्री Yamunotri के बारे में बताते है…जब कि यह छोटे चारधाम है.
चारधाम के रूप में बद्रीनाथ Badrinath, जगन्नाथपुरी Jagannathpuri,
द्वारका Dwarka और रामेश्वरम Rameshvaram को पूजा जाता है.
Kedarnath, बद्रीनाथ Badrinath, गंगोत्री Gangotri और
यमुनोत्री Yamunotri के बारे में बताते है…जब कि यह छोटे चारधाम है.
चारधाम के रूप में बद्रीनाथ Badrinath, जगन्नाथपुरी Jagannathpuri,
द्वारका Dwarka और रामेश्वरम Rameshvaram को पूजा जाता है.
उत्तराखंड में पंच बदरी, पंच केदार, छोटे चारधाम एवं पंच प्रयाग को पौराणिक
दृस्टि से हिन्दू धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है. पंच बदरी भगवान
विष्णु को समर्पित श्रध्दा का प्रतीक है…जब पंच केदार भगवान शिव को समर्पित
श्रध्दा का प्रतीक है.
दृस्टि से हिन्दू धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है. पंच बदरी भगवान
विष्णु को समर्पित श्रध्दा का प्रतीक है…जब पंच केदार भगवान शिव को समर्पित
श्रध्दा का प्रतीक है.
पंच बदरी Panch badri |
स्थल Place |
---|---|
बद्रीनाथ Dadrinath |
चमोली जिला, उत्तराखंड Chamoli, Uttarakhand |
आदि बदरी adi badri |
उत्तराखंड Uttarakhand |
भविष्य बदरी bhavishya badri | सुभांई गाँव, उत्तराखंड Subhai village, uttarakhand |
योगध्यान बदरी Yog dhyan badri |
पांडुकेश्वर, उत्तराखंड Pandukeshwar, uttarakhand |
वृद्ध बदरी vridh badri |
अणि मठ, उत्तराखंड ani muth, uttarakhand |
चारधाम Chardham | स्थल Place |
---|---|
बद्रीनाथ Dadrinath |
चमोली जिला, उत्तराखंड Chamoli, Uttarakhand |
द्वारका Dvaraka |
द्वारका जिला, गुजरात Dvaraka jilla, Gujarat |
जगन्नाथपुरी Jagannathpuri |
पुरी, ओडिशा Puri, odisha |
रामेश्वर मंदिर Rameshwar temple | रामेश्वरम, तमिलनाडु Rameshwaram, tamilnadu |
छोटे चारधाम Chote chardham | स्थल Place |
---|---|
बद्रीनाथ Dadrinath |
चमोली जिला, उत्तराखंड Chamoli, Uttarakhand |
केदारनाथ Kedaranath |
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड Rudraprayag, uttarakhand |
गंगोत्री धाम Gangotri dham |
उत्तरकाशी, उत्तराखंड Uttarakashi, uttarakhand |
यमुनोत्री धाम Yamunotri dham |
यमुनोत्री ज़िला, उत्तराखंड Yamunotri, uttarakhand |
बद्रीनारायण मंदिर से जाना जाने वाला बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास – History of
BADRINATH TEMPLE
Photo © Credit:
commons.m.wikimedia (Vishwanath Negi)
commons.m.wikimedia (Vishwanath Negi)
बद्रीनाथ धाम Badrinath dham नर और नारायण नाम के दो पहाड़ो के बीच स्थित
है. बद्रीनाथ धाम Badrinath dham के बारे में कहा जाता है कि ‘ जो आए
बदरी, वो ना आए ओदरी’ जो आदमी एक बार बद्रीनाथ Badrinath के दर्शन कर लेता
है उसे पुनः माता के गर्भ में नही आना पड़ता. हिन्दू शास्त्रो के अनुसार मनुष्य को
अपने जीवन मे कम से कम एक बार बद्रीनाथ के दर्शन करने जा चाहिए.
है. बद्रीनाथ धाम Badrinath dham के बारे में कहा जाता है कि ‘ जो आए
बदरी, वो ना आए ओदरी’ जो आदमी एक बार बद्रीनाथ Badrinath के दर्शन कर लेता
है उसे पुनः माता के गर्भ में नही आना पड़ता. हिन्दू शास्त्रो के अनुसार मनुष्य को
अपने जीवन मे कम से कम एक बार बद्रीनाथ के दर्शन करने जा चाहिए.
बद्रीनाथ मंदिर Badrinath mandir यहां कब से मौजूद है इसके बारे में हमारे
शास्त्र भी मौन है. इसके साथ ही यह हमारे प्राचीन वैदिक शास्त्र के देवता, जो
इंगित करते है…कि यह मंदिर वैदिक काल के दौरान से यहां पर मौजूद है. बद्रीनाथ
धाम Badrinath Dham के निर्माण के बारे मव के कहानी प्रचलित है.
शास्त्र भी मौन है. इसके साथ ही यह हमारे प्राचीन वैदिक शास्त्र के देवता, जो
इंगित करते है…कि यह मंदिर वैदिक काल के दौरान से यहां पर मौजूद है. बद्रीनाथ
धाम Badrinath Dham के निर्माण के बारे मव के कहानी प्रचलित है.
Badrinath temple Story 1 :-
बद्रीनाथ धाम Badrinath dham के इतिहास संबधित कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित
है. एक महान कथा के अनुसार एक बार देवी लक्ष्मीजी भगवान विष्णु से नाराज होकर
अपने मायके चली गई थी. तो उनको मनाने के लिए भगवान विष्णु ने इस जगह पर कठोर
तपस्या की थी.
है. एक महान कथा के अनुसार एक बार देवी लक्ष्मीजी भगवान विष्णु से नाराज होकर
अपने मायके चली गई थी. तो उनको मनाने के लिए भगवान विष्णु ने इस जगह पर कठोर
तपस्या की थी.
पर भगवान विष्णु यहां के खराब मौसम से अनजान थे. तब देवी लक्ष्मीजी ने बैर के पेड
का आकार लिया और खराब मौसम से विष्णुजी को बचाने के लिए उन्हें अपनी शाखाओ से ढंक
लिया…तब उस जगह पर बैर का वन हुआ करता था.
का आकार लिया और खराब मौसम से विष्णुजी को बचाने के लिए उन्हें अपनी शाखाओ से ढंक
लिया…तब उस जगह पर बैर का वन हुआ करता था.
बद्री वन में तपस्या करने कारण देवी लक्ष्मीजी ने भगवान विष्णु को बद्रीनाथ नाम
दिया था. किवंदती के अनुपालन में बद्रीनाथ रूप में बैठे विष्णुजी को मंदिर में
ध्यानपूर्वक मुद्रा में बैठे चित्रित किया गया है.
दिया था. किवंदती के अनुपालन में बद्रीनाथ रूप में बैठे विष्णुजी को मंदिर में
ध्यानपूर्वक मुद्रा में बैठे चित्रित किया गया है.
Badrinath temple Story 2 :-
बद्रीनाथ मंदिर Badrinath dham के बारे में एक यह कथा भी प्रचलित है. उस
कथा के अनुसार ब्रह्माजी के पुत्र धर्म और उनकी पत्नी मूर्ति को दो संतान थी.
जिनका नाम नर और नारायण था. नर और नारायण दोनों भाई भगवान विष्णु के परम भक्त थे.
वह दोनों अपने आश्रम के स्थापना की कामना रखते थे.
कथा के अनुसार ब्रह्माजी के पुत्र धर्म और उनकी पत्नी मूर्ति को दो संतान थी.
जिनका नाम नर और नारायण था. नर और नारायण दोनों भाई भगवान विष्णु के परम भक्त थे.
वह दोनों अपने आश्रम के स्थापना की कामना रखते थे.
वह दोनों विशाल हिमालय पर्वतों के बीच कुछ सौहार्दपूर्ण स्थान पर अपने धार्मिक
आधार का विस्तार करना चाहते थे. कहा जाता है कि वह दोनों जब अपने आश्रम के लिये
एक उचित जगह की तलाश कर रहे थे तब उनकी नजर पंच बदरी के अन्य चार स्थल पर
गई.
आधार का विस्तार करना चाहते थे. कहा जाता है कि वह दोनों जब अपने आश्रम के लिये
एक उचित जगह की तलाश कर रहे थे तब उनकी नजर पंच बदरी के अन्य चार स्थल पर
गई.
बाद में उनको अलखनंदा नदी के किनारे गर्म और ठंडा वसंत मिला. जिसे उन्होंने बद्री
विशाल अर्थात बद्रीनाथ धाम नाम दिया. इसी तरह बद्रीनाथ धाम अस्तित्व में
आया.
विशाल अर्थात बद्रीनाथ धाम नाम दिया. इसी तरह बद्रीनाथ धाम अस्तित्व में
आया.
बद्रीनाथ मंदिर की जानकारी – Badrinath Temple’s information in Hindi
यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है…जिसे
लोग बद्रीनाथ मंदिर Badrinath Temple के नाम से जानते है. बद्रीनाथ मंदिर
Badrinath Temple को बद्रीनारायण मंदिर Badrinarayan temple के नाम
से भी जाना जाता है. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथ को समर्पित है. यह
मंदिर चारधाम, छोटे चारधाम एवं पंच बदरी में से एक है. ऋषिकेश से बद्रीनाथ मंदिर
Rishikesh to Badrinath temple 294 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में स्थित
है.
लोग बद्रीनाथ मंदिर Badrinath Temple के नाम से जानते है. बद्रीनाथ मंदिर
Badrinath Temple को बद्रीनारायण मंदिर Badrinarayan temple के नाम
से भी जाना जाता है. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनाथ को समर्पित है. यह
मंदिर चारधाम, छोटे चारधाम एवं पंच बदरी में से एक है. ऋषिकेश से बद्रीनाथ मंदिर
Rishikesh to Badrinath temple 294 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में स्थित
है.
इस माना जाता है कि बद्रीनाथ मंदिर Badrinath mandir पहले बौद्ध मठ हुआ
करता था. आदि गुरु शंकराचार्य ने जब यहां का दौरा किया उसके बाद से यह मंदिर को
बद्रीनाथ धाम जे जाना जाने लगा. बद्रीनाथ मंदिर Badrinath mandir समुद्र
तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. बद्रीनाथ मंदिर
Badrinath mandir वैष्णव संप्रदाय के 108 दिव्य देसम में से एक और प्रमुख
स्थान है.
करता था. आदि गुरु शंकराचार्य ने जब यहां का दौरा किया उसके बाद से यह मंदिर को
बद्रीनाथ धाम जे जाना जाने लगा. बद्रीनाथ मंदिर Badrinath mandir समुद्र
तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. बद्रीनाथ मंदिर
Badrinath mandir वैष्णव संप्रदाय के 108 दिव्य देसम में से एक और प्रमुख
स्थान है.
बद्रीनाथ Badrinath के मंदिर में स्थित भगवान बद्रीनाथ की 3.3 ft ऊंची
शालीग्राम की शिला प्रतिमा है…जो भगवान विष्णु की सबसे पवित्र स्वयं-प्रगट
मूर्तियो में से एक है. बद्रीनाथ मंदिर Badrinath mandir के कपाट खराब
मौसम के कारण छह माह बंद और छह माह खुल्ले रहते है. जो अप्रैल से शुरू होता है और
नवंबर के महीने में समाप्त होता है. बद्रीनाथ मंदिर Badrinath temple के
कपाट जब खोले जाते है तब जलते हुए दिये के दर्शन करने का बड़ा महत्व होता
है.
शालीग्राम की शिला प्रतिमा है…जो भगवान विष्णु की सबसे पवित्र स्वयं-प्रगट
मूर्तियो में से एक है. बद्रीनाथ मंदिर Badrinath mandir के कपाट खराब
मौसम के कारण छह माह बंद और छह माह खुल्ले रहते है. जो अप्रैल से शुरू होता है और
नवंबर के महीने में समाप्त होता है. बद्रीनाथ मंदिर Badrinath temple के
कपाट जब खोले जाते है तब जलते हुए दिये के दर्शन करने का बड़ा महत्व होता
है.
बद्रीनाथ धाम Badrinath dham को सृस्टि का आठवा वैकुंठ माना जाता है.
बद्रीनाथ धाम Badrinath dham के बारे में एक ऐसा भी माना जाता है कि यहां
पहले भगवान शिव अपने परिवार के साथ निवास करते थे. लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने
इस स्थान को भगवान शिव के मांग लिया था.
बद्रीनाथ धाम Badrinath dham के बारे में एक ऐसा भी माना जाता है कि यहां
पहले भगवान शिव अपने परिवार के साथ निवास करते थे. लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने
इस स्थान को भगवान शिव के मांग लिया था.
बद्रीनाथ Badrinath के पुजारियो को रावलजी कहा जाता है…जो आदि गुरु
शंकराचार्य के वंशज होते है. जब तक वह रावल पद पर रहते है तब तक उन्हें
ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है.
शंकराचार्य के वंशज होते है. जब तक वह रावल पद पर रहते है तब तक उन्हें
ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है.
बद्रीनाथ धाम Badrinath dham के बारे में भविष्यवाणी
उत्तराखंड के केदार घाटी Kedar gati में स्थित है नर और नारायण नाम के दो पहाड़…जो भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण की तपोभूमि है. ऐसा भी माना जाता है, कि सतयुग में बद्रीनाथ धाम Badrinath dham की स्थापना स्वयं नारायण ने की थी.
नर और नारायण ने ही द्वापरयुग में श्री कृष्ण और अर्जुन के रूप में अवतार लेकर धर्म की फिर से स्थापना की थी. भगवान नर और नारायण के दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते है और जीवन मुक्ति की प्राप्ति भी होती है.
पुराणों के अनुसार भूकंप, जलप्रलय और सूखे के बाद गंगा लुप्त हो जाएगी और इसी गंगा की कथा के साथ जुड़ी है बद्रीनाथ और केदारनाथ तीर्थस्थल की रोचक कहानी. ऐसा माना जाता है कि जब नर और नारायण नाम के दो पर्वत आपस मे जुड़ जाएंगे तब बद्रीनाथ Badrinath और केदारनाथ मंदिर kedaranath temple जाने के रास्ते बंद हो जाएंगे.
ऐसा माना जाता है कि, वर्षों बाद भविष्य में भविष्यबद्री नामक नए तीर्थ का उद्गम होगा. एक मान्यता ऐसी भी है कि जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान की मूर्ति का एक हाथ साल दर साल पतला होता जा रहा है. जिस दिन यह हाथ लुप्त हो जाएगा उस दिन बद्रीनाथ धाम Badrinath dham और केदारनाथ धाम kedaranath dham भी लुप्त होना प्रारंभ हो जाएंगे.
Note
दोस्तों अगर आपको हमारा ये BOLG पसंद आया हो…और इसमें आपको कोई भूल या कमी नजर आयी हो तो हमे COMMENT के माध्यम से सूचित करें.
■ आपकी बताई गई सूचना को हम 48 घंटे में सही करने की कोशिस करेगे…ओर आपके एक सुजाव से किसीके पास भी गलत information नही पहोच पायेगी.
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