भारत भूमि, जो अनेको वरसॉ से संतो – महंतो की भूमि रही है. यहाँ पर ऐसे कई
तीर्थस्थल मौजूद है जिनका अपना – अपना धार्मिक महत्व है…और उनसे लाखो लोगो की
आस्था जुड़ी हुई है. ऐसा ही एक तीर्थस्थल देवभूमि उत्तराखंड में मौजूद है.
उत्तराखंड राज्य केरुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple)
चारधाम और पंचकेदार में से एक है.
तीर्थस्थल मौजूद है जिनका अपना – अपना धार्मिक महत्व है…और उनसे लाखो लोगो की
आस्था जुड़ी हुई है. ऐसा ही एक तीर्थस्थल देवभूमि उत्तराखंड में मौजूद है.
उत्तराखंड राज्य केरुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple)
चारधाम और पंचकेदार में से एक है.
भारतीय पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने लोककल्याण एवं प्रकृतिकल्याण हेतु भारत मे
12 जगहों पर स्वयंभू प्रगट हुए और लिंग रूप में बिराजमान रहे…उन 12 जगहों को
ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के रूप में पूजा जाने लगा. उन 12 ज्योतिर्लिंग (12
jyotirlinga) में से एक केदारनाथ( kedarnath) भी है.
12 जगहों पर स्वयंभू प्रगट हुए और लिंग रूप में बिराजमान रहे…उन 12 जगहों को
ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के रूप में पूजा जाने लगा. उन 12 ज्योतिर्लिंग (12
jyotirlinga) में से एक केदारनाथ( kedarnath) भी है.
12 ज्योतिर्लिंग सुुुचीपत्र-12 jyotirling list
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-somnath jyotirling mandir | गुजरात-gujarat |
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर-mallikarjun jyotirling mandir |
आंध्र प्रदेश-andhra pradesh |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-mahakaleshwar jyotirling mandir | मध्य प्रदेश-madhay pradesh |
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – omkareshvar jyotirling mandir |
मध्य प्रदेश-madhay pradesh |
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-kedarnath jyotirling mandir | उत्तराखंड-uttarakhand |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर-bhimashankar jyotirling mandir | महाराष्ट्र-maharashtra |
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-vishvanath jyotirling mandir |
उत्तर प्रदेश-uttar pradesh |
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-trimbkeshwar jyotirling mandir |
महाराष्ट्र-maharashtra |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-nageshwar jyotirling mandir | गुजरात-gujarat. |
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर – vaidhyanath jyotirling mandir |
जारखंड – jharkhand |
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-rameshwar jyotirling mandir | तमिलनाडु-tamilanadu |
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – ghrishneshwar jyotirling mandir |
महाराष्ट्र – maharastra |
केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple) तीन तरफ से पहाड़ो से गिरा हुआ है. एक तरफ
22,000 फुट ऊंचा केदार पर्वत है तो दूसरी तरफ 21,600 फुट ख़र्चकुंज पर्वत है तो
तीसरी तरफ 22,000 फुट ऊंचा भरतकुंज पर्वत है. इतना ही नही यहां पर पांच नदियों
का संगम भी है…जैसे कि मन्दाकिनी, मधुगंगा, चीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी
है.
22,000 फुट ऊंचा केदार पर्वत है तो दूसरी तरफ 21,600 फुट ख़र्चकुंज पर्वत है तो
तीसरी तरफ 22,000 फुट ऊंचा भरतकुंज पर्वत है. इतना ही नही यहां पर पांच नदियों
का संगम भी है…जैसे कि मन्दाकिनी, मधुगंगा, चीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी
है.
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास – History of Kedarnath Jyotirlinga
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर (kedarnath temple ) शिव भगवान के 12
ज्योतिर्लिंगों ( 12 jyotirlinga list) में से पांचवा प्रमुख ज्योतिर्लिंग है.
इस ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के निर्माण की 2 कथा प्रचलित है. जिसमे एक कथा
का वर्णन शिवपुराण (shivapuran) में मिलता है और दूसरा महाभारत ग्रंथ
(mahabharat Granth) में मिलता है.
ज्योतिर्लिंगों ( 12 jyotirlinga list) में से पांचवा प्रमुख ज्योतिर्लिंग है.
इस ज्योतिर्लिंग (jyotirlinga) के निर्माण की 2 कथा प्रचलित है. जिसमे एक कथा
का वर्णन शिवपुराण (shivapuran) में मिलता है और दूसरा महाभारत ग्रंथ
(mahabharat Granth) में मिलता है.
केदारनाथ ज्योतिलिंग कि कहानी नं. एक -Kedarnath Jyotirlinga Story no. 1
केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple) के निर्माण का वर्णन शिवपुराण (shivpuran) में
कोटिरुद्रसंहिता के 18वें अध्याय में मिलता है. शिवपुराण (shivapuran) के अनुसार
ब्रह्माजी के पुत्र धर्म और उनकी पत्नी मूर्ति को दो संतान थी. जिनका नाम नर और
नारायण था. नर और नारायण दोनों भाई भगवान शिव के परम भक्त थे और वह दोनों हररोज
बद्रीवन में भगवान शिव का पार्थिव शिवलिंग बनाकर रोज तप किया करते थे. भगवान शिव
उनकी पूजा स्वीकार करने उनके बनाए पार्थिव शिवलिंग में रोज आया करते थे.
कोटिरुद्रसंहिता के 18वें अध्याय में मिलता है. शिवपुराण (shivapuran) के अनुसार
ब्रह्माजी के पुत्र धर्म और उनकी पत्नी मूर्ति को दो संतान थी. जिनका नाम नर और
नारायण था. नर और नारायण दोनों भाई भगवान शिव के परम भक्त थे और वह दोनों हररोज
बद्रीवन में भगवान शिव का पार्थिव शिवलिंग बनाकर रोज तप किया करते थे. भगवान शिव
उनकी पूजा स्वीकार करने उनके बनाए पार्थिव शिवलिंग में रोज आया करते थे.
एक रोज नर और नारायण की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको दर्शन दिए…और
वरदान मांगने को कहा. नर और नारायण ने वरदान के रूप में भगवान शिव को लोक कल्याण
के लिए हमेशा वहां रहने का आग्रह किया…उनके आग्रह करने पर भगवान शिव लोक कल्याण
के लिए उनके बनाए शिवलिंग में स्थित हो गए. केदार तीर्थ में स्थित होने के कारण
भगवान शिव केदारेश्वर एवं केदारनाथ (kedarnath) कहलाऐ.
वरदान मांगने को कहा. नर और नारायण ने वरदान के रूप में भगवान शिव को लोक कल्याण
के लिए हमेशा वहां रहने का आग्रह किया…उनके आग्रह करने पर भगवान शिव लोक कल्याण
के लिए उनके बनाए शिवलिंग में स्थित हो गए. केदार तीर्थ में स्थित होने के कारण
भगवान शिव केदारेश्वर एवं केदारनाथ (kedarnath) कहलाऐ.
नर और नारायण ने जिस बद्रीवन में घोर तपस्या की थी उसी वन में आज बद्रीनाथ नाम का
एक मंदिर भी है…जो चारधामों में से एक है. और उसी जगह पर नर और नारायण नाम के
दो पहाड़ भी है.
एक मंदिर भी है…जो चारधामों में से एक है. और उसी जगह पर नर और नारायण नाम के
दो पहाड़ भी है.
केदारनाथ ज्योतिलिंग कि कहानी नं. दो – Kedarnath Jyotirlinga Story no. 2
महाभारत ग्रंथ (Mahabharat Granth) के अनुसार, पांडव महाभारत (mahabharat) का
युद्ध तो जीत गए पर अपने भाइयों का वध करने के कारण उन पर भातृहत्या का पाप लगा
था. जिस वजह से पांडव इस पाप से मुक्त होना चाहते थे और भगवान शिव का आशिर्वाद
पाना चाहते थे…पर भगवान शिव पांडवो से बहुत नाराज थे. भगवान शिव के दर्शन के
लिए पांडव काशी गए पर उनको भगवान शिव वहाँ नही मिले.
युद्ध तो जीत गए पर अपने भाइयों का वध करने के कारण उन पर भातृहत्या का पाप लगा
था. जिस वजह से पांडव इस पाप से मुक्त होना चाहते थे और भगवान शिव का आशिर्वाद
पाना चाहते थे…पर भगवान शिव पांडवो से बहुत नाराज थे. भगवान शिव के दर्शन के
लिए पांडव काशी गए पर उनको भगवान शिव वहाँ नही मिले.
पांडव भगवान शिव को ढूंढते हुए हिमालय पर गए…भगवान शिव पांडवो को दर्शन देना
नही चाहते थे इसी लिए वह अंतर्धयान हुऐ और केदार जा बसे. पांडव भी उनके पीछे
केदार जा पहुचे तब भगवान शिव ने बेल का रूप धारण किया और पशुओं के जुंड में चले
गए. पर पांडवो को इस बात का पता चल गया था तभी भीम ने अपने दोनों पैरों को पर्वत
के बीच फसा दिए. सभी पशू भीम के पैरों के नीचे होकर चले गए…पर बैल रूपी शिव नही
गए.
नही चाहते थे इसी लिए वह अंतर्धयान हुऐ और केदार जा बसे. पांडव भी उनके पीछे
केदार जा पहुचे तब भगवान शिव ने बेल का रूप धारण किया और पशुओं के जुंड में चले
गए. पर पांडवो को इस बात का पता चल गया था तभी भीम ने अपने दोनों पैरों को पर्वत
के बीच फसा दिए. सभी पशू भीम के पैरों के नीचे होकर चले गए…पर बैल रूपी शिव नही
गए.
तब भीम ने बैल को पकड़ा पर बैल धरती में सामने लगा तभी भीम ने बैल की पीछे के भाग
से पकड़ लिया. भगवान शिव पांडवो की भक्ति और द्रढ़ संकल्प से खुश हुए. भगवान शिव ने
पांडवो को दर्शन दिए और पाप से मुक्त किया. उस समय से भगवान शिव केदारधाम
(kedardham) में बैल के रूप की आकृति वाले लिंग में पूजे जाते है.
से पकड़ लिया. भगवान शिव पांडवो की भक्ति और द्रढ़ संकल्प से खुश हुए. भगवान शिव ने
पांडवो को दर्शन दिए और पाप से मुक्त किया. उस समय से भगवान शिव केदारधाम
(kedardham) में बैल के रूप की आकृति वाले लिंग में पूजे जाते है.
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जब बैल के रूप में अंतरधयान हुऐ थे तब उनके धड़ के
ऊपर का भाग काठमांडू में प्रगट हुआ…जो पशुपतिनाथ के रूप में प्रचलित है. बैल की
भुजाएँ तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मध्येश्वर में और जटा कल्पेस्वर में
प्रगट हुई. और यह धामो को पंचकेदार कहा जाता है. यहाँ पर भगवान शिव के भव्य मंदिर
बनवाये गए है.
ऊपर का भाग काठमांडू में प्रगट हुआ…जो पशुपतिनाथ के रूप में प्रचलित है. बैल की
भुजाएँ तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मध्येश्वर में और जटा कल्पेस्वर में
प्रगट हुई. और यह धामो को पंचकेदार कहा जाता है. यहाँ पर भगवान शिव के भव्य मंदिर
बनवाये गए है.
केदारनाथ मंदिर का इतिहास – Kedarnath Temple History
वर्तमान केदारनाथ मंदिर (Kedarnath temple) के निर्माण के बारे में कई कथा
कही जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर (kedarnath Temple) 1000 साल
पुराना है. एक कथा के अनुसार केदारनाथ मंदिर(kedarnath mandir) को पांडवो के वंशज
जन्मजय ने बनवाया था. ग्वालियर से मिली राजा भोज की पत्रिकाओं से पता चलता है कि
केदारनाथ मंदिर(kedarnath temple) को मालवा के राजा भोज ने बनवाया था.
कही जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर (kedarnath Temple) 1000 साल
पुराना है. एक कथा के अनुसार केदारनाथ मंदिर(kedarnath mandir) को पांडवो के वंशज
जन्मजय ने बनवाया था. ग्वालियर से मिली राजा भोज की पत्रिकाओं से पता चलता है कि
केदारनाथ मंदिर(kedarnath temple) को मालवा के राजा भोज ने बनवाया था.
केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple) का जीर्णोद्धार 8वी सताब्दी में जगतगुरु आदि
शंकराचार्य ने करवाया था. 32 वर्ष की छोटी उम्र में साल 820 में उन्होंने
केदारनाथ मंदिर(kedarnath mandir) के पीछे समाधि ली थी. यह समाधि आज भी केदारनाथ
मंदिर (kedaranath mandir) के पीछे देखने को मिलती है.
शंकराचार्य ने करवाया था. 32 वर्ष की छोटी उम्र में साल 820 में उन्होंने
केदारनाथ मंदिर(kedarnath mandir) के पीछे समाधि ली थी. यह समाधि आज भी केदारनाथ
मंदिर (kedaranath mandir) के पीछे देखने को मिलती है.
केदारनाथ मंदिर(Kedarnath temple) की ऊंचाई | 85 फिट |
केदारनाथ मंदिर(Kedarnath temple) की चौड़ाई | 187 फिट |
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath temple) की दीवार | 12 फिट मोटी है |
केदारनाथ मंदिर (kedarnath mandir)की स्थापत्य शैली | कचट्यूरी शैली |
केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple) 3462 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह मंदिर 6
फिट ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है. मंदिर के प्रांगण में द्रोपदी सहित पांडवो की
मूर्तियां भी स्थापित की गई है. मंदिर के बाहर शिव के परम भक्त नंदीजी बिराजमान
है. मंदिर के गर्भगृह में स्वयं भगवान शिव केदार रूप में बिराजमान है. मंदिर के
आसपास परिक्रमा मार्ग भी है.
फिट ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है. मंदिर के प्रांगण में द्रोपदी सहित पांडवो की
मूर्तियां भी स्थापित की गई है. मंदिर के बाहर शिव के परम भक्त नंदीजी बिराजमान
है. मंदिर के गर्भगृह में स्वयं भगवान शिव केदार रूप में बिराजमान है. मंदिर के
आसपास परिक्रमा मार्ग भी है.
केदारधाम का मौसम –
kedarnath weather
केदारधाम के खराब मौसम की वजह से मंदिर के कपाट 6 माह दर्शनथियो के दर्शन के
लिए खुले रहते है और 6 माह बंद रहते है. केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple) के
कपाट मकरसंक्रांति के 15 दिन पहले खुलते है और भाईदूज की सुबह 4 बजे केदारनाथ
(kedarnath) को कपड़ो की समाधि देने के साथ कपाट बंद हो जाते है. केदारनाथ
(kedarnath) की पंचमुखी मूर्ति, विग्रह और डंडी को पालखी में बिराजमान कर पहाड़
के नीचे ऊखीमठ लाया जाता है. मठ में प्रतिमा की पूजा रावलजी करते है.
लिए खुले रहते है और 6 माह बंद रहते है. केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple) के
कपाट मकरसंक्रांति के 15 दिन पहले खुलते है और भाईदूज की सुबह 4 बजे केदारनाथ
(kedarnath) को कपड़ो की समाधि देने के साथ कपाट बंद हो जाते है. केदारनाथ
(kedarnath) की पंचमुखी मूर्ति, विग्रह और डंडी को पालखी में बिराजमान कर पहाड़
के नीचे ऊखीमठ लाया जाता है. मठ में प्रतिमा की पूजा रावलजी करते है.
मंदिर परिक्रमा मार्ग के ठीक पीछे भीम शिला नाम की एक चटान भी मौजूद
है…उत्तराखंड में जून 2013 को आये भूस्खलन की वजह से वहां पर आई थी. सही चट्टान
की वजह से केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple) को कुछ नही हुआ है.
है…उत्तराखंड में जून 2013 को आये भूस्खलन की वजह से वहां पर आई थी. सही चट्टान
की वजह से केदारनाथ मंदिर (kedarnath temple) को कुछ नही हुआ है.
केदारनाथ मंदिर में पूजा का समय – Timings of kedarnath temple
केदारनाथ मंदिर के खुलने का समय | 4:00 A.M. |
विशेष पूजा | 4:30 A.M.TO 6:00 A.M. |
मंगला आरती और दर्शन | 6:00 A.M.TO 7:00 A.M. |
मंदिर व्यवस्था के कारण दर्शन बंद और विशेष पूजा | 3:00 P.M. TO 5:00 P.M. |
पंचमुखी केदारनाथ का विशेष श्रृंगार | 5:30 P.M. TO 6:30 P.M. |
संध्या आरती | 7:30 P.M. TO 8:30 P.M. |
केदारनाथ मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Some intresting fects about
kedarnath temple.
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ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जब बैल के रूप में अंतरधयान हुऐ थे तब उनके धड़
के ऊपर का भाग काठमांडू में प्रगट हुआ…जो पशुपतिनाथ के रूप में प्रचलित है.
बैल की भुजाएँ तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मध्येश्वर में और जटा
कल्पेस्वर में प्रगट हुई. और यह धामो को पंचकेदार कहा जाता है. - केदारनाथ मंदिर(kedarnath Temple) को 1000 वर्ष से भी पुराना माना जाता है.
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केदारनाथ मंदिर(kedarnath mandir) के पास मंदाकिनी, मधुगंगा, चीरगंगा,
सरस्वती और स्वर्णगौरी ऐसी पांच नदीयो का संगम है. पर ऐसा कहा जाता है कि
मंदाकिनी नदी के अलावा बाकी नदिया काल्पनिक है. -
भाईदूज की सुबह मंदिर के कपाट बंद होते है उससे पहले पुजारी द्वारा मंदिर में
एक दिया जलाया जाता है जो 6 माह तक जलता रहता है. -
नर और नारायण ने जिस बद्रीवन में घोर तपस्या की थी उसी वन में आज बद्रीनाथ
नाम का एक मंदिर भी है…जो चारधामों में से एक है. और उसी जगह पर नर और
नारायण नाम के दो पहाड़ भी है. -
नर और नारायण ने ही द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के रूप में
अवतार लेकर फिरसे धर्म की फिर से स्थापना की थी.
केदारनाथ मंदिर तक कैसे पहुचे –
How to reach kedarnath mandir
केदारनाथ धाम तक सीधे पहुचने के लिए केवल थलमार्ग ही है. रेलमार्ग और वायुमार्ग
से केदारनाथ धाम तक कोई सीधा मार्ग नही है.
से केदारनाथ धाम तक कोई सीधा मार्ग नही है.
थलमार्ग :- थलमार्ग द्वारा आप केदारनाथ धाम भारत के किसी भी शहर से पहुच
सकते है.अगर आप थलमार्ग द्वारा केदारनाथ धाम जाना चाहते है तो ऋषिकेश, हरिद्वार
और देरादून के रास्ते से जा सकते है. ऋषिकेश, हरिद्वार और देरादून पहुचने के
बाद केदारनाथ के लिए आपना साधन बुक कर सकते है.
सकते है.अगर आप थलमार्ग द्वारा केदारनाथ धाम जाना चाहते है तो ऋषिकेश, हरिद्वार
और देरादून के रास्ते से जा सकते है. ऋषिकेश, हरिद्वार और देरादून पहुचने के
बाद केदारनाथ के लिए आपना साधन बुक कर सकते है.
रेलमार्ग :- आप केदारनाथ धाम रेलमार्ग द्वारा जाना चाहते है तो निकटतम
रेलवेस्टेशन ऋषिकेश है. ऋषिकेश रेलवेस्टेशन भारत के बड़े शहरों से रेलमार्ग
द्वारा जुड़ा हुआ है. ऋषिकेश पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते
है.
रेलवेस्टेशन ऋषिकेश है. ऋषिकेश रेलवेस्टेशन भारत के बड़े शहरों से रेलमार्ग
द्वारा जुड़ा हुआ है. ऋषिकेश पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते
है.
वायुमार्ग :- आप केदारनाथ धाम वायुमार्ग द्वारा जाना चाहते है तो निकटतम
एयरपोर्ट देहरादून में जोली ग्रांट है. देरादून केदारनाथ से 239 किलोमीटर दूर
है. देरादून पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते है.
एयरपोर्ट देहरादून में जोली ग्रांट है. देरादून केदारनाथ से 239 किलोमीटर दूर
है. देरादून पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते है.
● केदारधाम पहुचने के बाद किराये पर हेलीकॉप्टर की सुविधा भी उपलब्ध है. जो
केदारधाम से केदारनाथ मंदिर तक ले जाता है. केदारधाम से केदारनाथ मंदिर 16
किलोमीटर दूर है.
केदारधाम से केदारनाथ मंदिर तक ले जाता है. केदारधाम से केदारनाथ मंदिर 16
किलोमीटर दूर है.
केदारनाथ मंदिर के आसपास घूमने से स्थल – Places to visit around kedarnath
Temple
-
Kedarnath Mountain
Photo Credit:
Sutharsan Shekhar -
Kedarnath Temple
Photo Credit:
commons.wikimedia.org -
Kedarkanth Camps
Photo Credit:
Yhayouth -
Kedarnath Vasuki Tal
Photo Credit:
commons.wikimedia.org -
Kedarnath Lake
Photo Credit:
Sriramskumar -
Kedarnath Route
Photo Credit:
anurupa_chowdhury -
People way to Kedarnath
Photo Credit:
Asdelhi95 -
Shankaracharya Samadhi
Photo Credit:
commons.wikimedia.org -
Waterfall In Kedarnath
Photo Credit:
Akshaykumar Khatane
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