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Introduction
12 ज्योतिर्लिंग सुुुचीपत्र – 12 jyotirlinga list- नागेश्वर मंदिर का इतिहास- kashi vishwanath temple history in hindi
- नागेश्वर मंदिर दर्शन समय – nageshwar temple timings
- नागेश्वर टेंपल के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Some interesting facts about nageshwar temple
- नागेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे – how to reach nageshwar mandir
- नागेश्वर मंदिर के आसपास घूमने के स्थल – Places to visit around nageshwar jyotirlinga temple
गुजरात राज्य के द्वारका जिले से करीब 17 किलोमीटर दूर स्थित है भारत का ऐतिहासिक एवं पवित्र मंदिर…जो नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (nageshwar jyotirlinga) के नाम से जाना जाता है.
भारतीय पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने लोककल्याण एवं प्रकृतिकल्याण हेतु भारत मे 12 जगहों पर स्वयंभू प्रगट हुए और लिंग रूप में बिराजमान रहे…उन 12 जगहों को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाने लगा. उन 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक नागेश्वर (nageshwar) भी है.
12 ज्योतिर्लिंग सुुुचीपत्र-12 jyotirling list
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-somnath jyotirling mandir | गुजरात-gujarat |
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर-mallikarjun jyotirling mandir | आंध्र प्रदेश-andhra pradesh |
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-mahakaleshwar jyotirling mandir | मध्य प्रदेश-madhay pradesh |
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – omkareshvar jyotirling mandir | मध्य प्रदेश-madhay pradesh |
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-kedarnath jyotirling mandir | उत्तराखंड-uttarakhand |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर-bhimashankar jyotirling mandir | महाराष्ट्र-maharashtra |
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर-vishvanath jyotirling mandir | उत्तर प्रदेश-uttar pradesh |
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-trimbkeshwar jyotirling mandir | महाराष्ट्र-maharashtra |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-nageshwar jyotirling mandir | गुजरात-gujarat. |
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर – vaidhyanath jyotirling mandir | जारखंड – jharkhand |
रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-rameshwar jyotirling mandir | तमिलनाडु-tamilanadu |
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – ghrishneshwar jyotirling mandir | महाराष्ट्र – maharastra |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में से एक और दशवा प्रमुख ज्योतिर्लिंग है. भारत मे नागेश्वर नाम के और दो मंदिर प्रचलित है. एक उत्तराखंड के अल्मोड़ा प्रांत में है और दूसरा महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान बहुत विवादास्पद है. शिवमहापुराण के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दारुक वन स्थित में है…और दारुक वन का उल्लेख दंदकावना, काम्यकावना और दैत्यवना जैसे कई ग्रंथो में मिलता है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास –
Nageshwar jyotirlinga
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास –
Nageshwar jyotirlinga
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के निर्माण का वर्णन शिवमहापुराण के कोटिरुद्रसंहिता में मिलता है. कोटिरुद्रसंहिता के अनुसार दारूका नाम की राक्षशी अपने पति दारुक के साथ दारुक वन में रहती थी. दारूका माता पार्वती की परम भक्त थी. माता पार्वती के वरदान के कारण दारूका इस वन को अपने साथ कही भी ले जा सकती थी. इस वरदान का दारूका को बहुत घमंड था.
इसी घमंड में चूर होकर दारूका ने अपने पति दारुक के साथ मिलकर जंगल मे बहुत उत्पात मचा रखा था. इसी बात से परेशान होकर वहाँ के लोगो मे उनकी शिकायत महाऋषि और्व से की. महाऋषि और्व ने उस जंगल मे रहते सभी राक्षसों की श्राप दिया कि अगर वह राक्षश पृथ्वी पर फिर कभी उत्पात मचाते है तथा किसी यज्ञ का विध्वंस करते है तो वह जलकर राख हो जायेंगे.
जब देवलोक में महाऋषि और्व के श्राप का पता चलने पर सभी देवताओं ने राक्षसों पर आक्रमण कर दिया. जब राक्षसों को यह बात का पता चला तो उनके लिए यह विकट की परिस्थिति थी…क्योकि वह देवताओ से युद्ध करते तो और्व जी के श्राप के कारण जल जाते और नही लड़ते तो देवताओ के हाथों मारे जाते.
इसीलिए दारुका जंगल और राक्षसों को अपने साथ उड़ाकर समुद्र में ले गई…और वहां ही रहने लगी. एक बार मनुष्यों से भरी कुछ नाव वहां से निकली तो उन राक्षसों ने सभी को बंदी बना दिया. उन बंदियों में सुप्रिय नामक एक वैस्या भी था. जो भगवान शिव का परम भक्त था. वह भगवान शिव (mahadev) का हररोज नित्य पाठ करता था.
सुप्रिय ने कारागृह में भी भगवान शिव का पाठ करना नही छोड़ा. वह हररोज कारागृह में भगवान शिव का पाठ करता…और उसने अन्य बंदीओ को भी पाठ करना शिखाया. यह बात जब दारुक को पता चली तो उसने सुप्रिय को पाठ बंद करने की धमकी दी पर सुप्रिय तो भगवान शिव की भक्ति में लीन था. इसलिए दारुक ने आपने साथी राक्षसों के साथ मिलकर सुप्रिय को मारने गया…पर तभी भगवान शिव वहां प्रगट हुए और राक्षसों का नाश किया.
यह देखकर दारुक भयभीत हो गया और भाग कर अपनी पत्नी दारुका के पास चला गया. दारूका ने अपने वंश की रक्षा के लिए माता पार्वती का समरण किया और माता पार्वती से अपने वंश की रक्षा करने के लिए पार्थना की. माता पार्वती ने भगवान शिव को यह बात बताई…भगवान शिव ने माता पार्वती के अनुरोध करने के कारण उन राक्षसों को क्षमा किया.
सुप्रिय के अनुरोध पर भगवान शिव लोककल्याण एवं प्रकृतिकल्याण हेतु वही बिराजमान हो गए. तब से भगवान शिव वही विद्यमान है.
भगवान शिव के निर्देशानुसार उस शिवलिंग का नाम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पड़ा. ऐसा कहा जाता है कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद जो व्यक्ति उसके निर्माण की कथा सुनता है उसे समस्त पापो से मुक्ति मिलती है…और सभी आद्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में पूजा का समय – Nageshwar Jyotirlinga Temple Timings
मंदिर खुलने का समय | 6:00 A.M. |
मंगला आरती | 6:00 A.M. TO 6:30 A.M. |
महारुद्राभिषेक | 6:00 A.M. TO 12:00 P.M. |
व्यवस्था के कारण मंदिर तथा महारुद्राभिषेक बंद | 12:30 P.M. |
श्रृंगार दर्शन | 4:00 P.M. TO 4:30 P.M. |
शयन आरती | 7:00 P.M. TO 7:30 P.M. |
रात्रि आरती | 9:00 P.M. TO 9:30 P.M. |
नागेश्वर मंदिर तक कैसे पहुचे – How to Reach Nageshwar Temple
नागेश्वर मंदिर तक सीधे पहुचने के लिए केवल थलमार्ग ही है. रेलमार्ग और वायुमार्ग से भीमाशंकर मंदिर तक कोई सीधा मार्ग नही है.
थलमार्ग :- थलमार्ग द्वारा आप नागेश्वर मंदिर भारत के किसी भी शहर से पहुच सकते है.अगर आप थलमार्ग द्वारा नागेश्वर मंदिर जाना चाहते है तो द्वारका तथा पोरबंदर के रास्ते से जा सकते है. द्वारका तथा पोरबंदर राजमार्गो द्वारा गुजरात के सभी बड़े शहरों से जुड़े हुए है.
रेलमार्ग :- आप काशी नागेश्वर मंदिर रेलमार्ग द्वारा जाना चाहते है तो निकटतम रेलवेस्टेशन द्वारका जंक्शन है. द्वारका रेलवेस्टेशन भारत के बड़े शहरों से प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है. द्वारका पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते है.
वायुमार्ग :- आप द्वारका मंदिर वायुमार्ग द्वारा जाना चाहते है तो निकटतम एयरपोर्ट पोरबंदर एयरपोर्ट है. पोरबंदर एयरपोर्ट से नागेश्वर मंदिर से 116 किलोमीटर दूर है. एयरपोर्ट पहुचने के बाद आप किराये पर Taxi या बस बुक कर सकते है.
नागेश्वर मंदिर के आसपास घूमने से स्थल – Places to visit around Nageshwar temple
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1. Dwarkadhish temple dwarka
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2. Dwarka beach
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3. Bhadkeshwar mahadev Temple
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4. Gopi Talav
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5. Sudama Setu
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6. Swaminarayan Mandir
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7. Rukmini Temple
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