पार्ले-जी Parle-G भारत का
सबसे पुराना और ज्यादा पसंद किए जाने वाला बिस्किट है. कहते है, समय के साथ सबकुछ
बदल जाता है. परंतु पार्ले-जी Parle-G भारत का ही नही बल्कि पूरे विश्व का एक ऐसा बिस्किट है, जो समय के साथ बिल्कुल
भी नही बदला.
सबसे पुराना और ज्यादा पसंद किए जाने वाला बिस्किट है. कहते है, समय के साथ सबकुछ
बदल जाता है. परंतु पार्ले-जी Parle-G भारत का ही नही बल्कि पूरे विश्व का एक ऐसा बिस्किट है, जो समय के साथ बिल्कुल
भी नही बदला.
Hurry Up!
बचपन की यादे बड़ी ही खूबसूरत होती है.
चाहे वो कागज की कश्ती हो, या बारिश का पानी
चाहे वो पार्ले-जी बिस्किट हो, या बूढ़ी से नानी
तो आइये जानते है, अपने इस पेज पर पार्ले-जी Parle-G के बनने से लेकर आज तक का सफर.
Table of Content
★ पार्ले-जी केन्डी का इतिहास – Parle-G Candy History In Hindi
यह कहानी की शुरुआत होती है, आज से 89 साल पहले. पार्ले-जी Parle-G की शुरुआत भारत की आजादी के पहले साल 1929 में श्री मोहनलाल चौहान द्वारा
कई गई थी.
कई गई थी.
हालांकि, पार्ले-जी Parle-G अपने शुरुआती समय मे बिस्किट का उत्पादन नही करता था. यह बहुत कम लोगो को
पता है कि, पार्ले-जी Parle-G अपने शुरुआती समय मे टॉफीया बनाता था.
पता है कि, पार्ले-जी Parle-G अपने शुरुआती समय मे टॉफीया बनाता था.
पार्ले-जी Parle-G में
बनी हुई सबसे पहली टॉफी ऑरेंज टॉफी थी.
बनी हुई सबसे पहली टॉफी ऑरेंज टॉफी थी.
इसके पीछे की कहानी भी बहुत ही दिलचस्प है. अंग्रेज जब भारत आये तब, अपने
साथ विदेशी वस्तुएँ भी लाये. उसी विदेशी वस्तुओ में से एक टॉफियां भी
थी.
साथ विदेशी वस्तुएँ भी लाये. उसी विदेशी वस्तुओ में से एक टॉफियां भी
थी.
उस समय टॉफियां भारत मे नई आयी थी. परंतु सामान्य आदमी के लिए वह खरीदकर
खाना मुमकिन नही था. क्योकि, उस समय भारत मे टॉफियां बहुत महँगी मिलती
थी.
खाना मुमकिन नही था. क्योकि, उस समय भारत मे टॉफियां बहुत महँगी मिलती
थी.
इसी समस्या का निवारण लाने के लिये श्री मोहनलाल चौहान जर्मनी गये और
60,000 रुपये की टॉफियां बनाने की मशीन लेकर भारत आये. साल 1929 मुंबई में
स्थित पारला इलाके में पार्ले-जी की नींव रखी.
60,000 रुपये की टॉफियां बनाने की मशीन लेकर भारत आये. साल 1929 मुंबई में
स्थित पारला इलाके में पार्ले-जी की नींव रखी.
पार्ले-जी Parle-G में
बनी ओरेंज टॉफी टेस्टी और कार काफी सस्ती मिलती थी. इसीलिए यह टॉफी देखते
ही देखते मशहूर हो गई. और इसे लोगो द्वारा भी बहुत पसंद किया जाने लगा.
बनी ओरेंज टॉफी टेस्टी और कार काफी सस्ती मिलती थी. इसीलिए यह टॉफी देखते
ही देखते मशहूर हो गई. और इसे लोगो द्वारा भी बहुत पसंद किया जाने लगा.
★ पार्ले-जी बिस्किट का इतिहास – Parle-G Biscuit History In Hindi
पार्ले-जी Parle-G मे
बिस्किट बनाने की शुरुआत भारत की आजादी से पहले, 1939 ईसवी में कई गयी थी.
अंग्रेज जब भारत आये तब, अपने साथ विदेशी वस्तुएँ भी लाये. उसी विदेशी
वस्तुओ में से एक टॉफियों के साथ-साथ बिस्किट भी था.
बिस्किट बनाने की शुरुआत भारत की आजादी से पहले, 1939 ईसवी में कई गयी थी.
अंग्रेज जब भारत आये तब, अपने साथ विदेशी वस्तुएँ भी लाये. उसी विदेशी
वस्तुओ में से एक टॉफियों के साथ-साथ बिस्किट भी था.
उस समय अंग्रेज चाय के साथ बिस्किट कटे थे. जो भारत मे नया-नया आया था.
परंतु सामान्य आदमी के लिए वह खरीदकर खाना मुमकिन नही था. क्योकि, उस समय
भारत मे बिस्किट बहुत ही महँगा मिलता था.
परंतु सामान्य आदमी के लिए वह खरीदकर खाना मुमकिन नही था. क्योकि, उस समय
भारत मे बिस्किट बहुत ही महँगा मिलता था.
इसीलिए मोहनलाल चौहान ने साल 1939 में पार्ले-जी मे बिस्किट बनाने की
शुरुआत की. आपको जानकर हैरानी होगी कि, पार्ले-जी को पहले पार्ले-ग्लूकोज़
कहा जाता था.
शुरुआत की. आपको जानकर हैरानी होगी कि, पार्ले-जी को पहले पार्ले-ग्लूकोज़
कहा जाता था.
क्योकि, यह बिस्किट गेंहू और ग्लूकोज़ का बनाया जाता था. ऑरेंज टॉफी की तरह
पार्ले-ग्लूकोज़ भी देखते ही देखते लोगो मे मशहूर हो गया.
पार्ले-ग्लूकोज़ भी देखते ही देखते लोगो मे मशहूर हो गया.
आज के समय मे पार्ले-जी Parle-G बिस्किट बाजार में छोटे पैकेट के लेक्ट फैमिली पैकेट तक उपलब्ध है. बाद
में पार्ले-ग्लूकोज़ का नाम बदलकर पार्ले-जी Parle-G रख दिया गया.
में पार्ले-ग्लूकोज़ का नाम बदलकर पार्ले-जी Parle-G रख दिया गया.
पार्ले-जी के बारे में कुछ रोचत तथ्य – Some Interesting Facts About
Parle-G
-
● पार्ले-जी Parle-G के संस्थापक मोहनलाल चौधरी मूल गुजरात के रहने
वाले थे और उनका मुख्य व्यवसाय सूत के कपड़ो का था. -
● पार्ले-जी Parle-G की शुरुआत में यहाँ के 12 लोग ही काम करते थे जो,
मोहनलाल के घरवाले ही थे. -
● साल 2013 में पार्ले-जी का सालाना टर्नओवर 5000 करोड़ से भी ज्यादा था
और साल 2018 में यह टर्नओवर बढ़ कर 8000 करोड़ से भी ज्यादा हो गया था.
जो अपने आप मे एक बहुत बड़ी बात है. -
● पार्ले-जी Parle-G बिस्किट के पैकेट पर जी लड़की की फोटो आप और
हम देखते है, वह लड़की का नाम नीरू देशपांडे है. - ● जो आज 66 साल की हो चुकी है और वह आज के समय मे दिल्ली में रहती है.
-
● आज के समय मे पार्ले-जी Parle-G ग्लूकोज़ बिस्किट के साथ मोनैको
बिस्किट, 20-20 बिस्किट, क्रेकजेक बिस्किट और भी बहुत सारे बिस्किट
बनाता है. -
● पार्ले-जी का नाम मुंबई की एक जगह के नाम पर रखा गया है. जिसे आज लोग
विले पारला के नाम से जानते है.